Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रास पञ्चाध्यायी- जैसे छोटा बच्चा शीशे में अपने चित्र को देखकर नाचने लगता है। रास में शामिल भक्तों का हृदय शीशे की तरह शुद्ध और निर्मल हो गया था,...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, निराकार ब्रह्म साकार होकर प्रकट दिखता है। जिसका आकार न दिखे वो निराकार है, जिसका आकार देख सके वह सरकार है। जैसे अग्नि जब तक लकड़ी में छुपी है...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य जब हुआ, समय भाद्रमास, कृष्णपक्ष, अष्टमी तिथि, बुधवार दिन, रोहिणी नक्षत्र, रात्रि बारह बजे का समय, दिशाएं निर्मल, शीतल मंद सुगंध पवन चलने लगी, हर...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यह शरीर रथ है, इंद्रियां घोड़े हैं, मन लगाम है और बुद्धि सारथि है, जीवात्मा इसमें रथी है, गुरु का दिया हुआ मंत्र धनुष है और चित्त की वृत्ति...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् का दिव्य स्वरुप है। श्रीमद्भागवत महापुराण में एक बहुत अच्छी बात कहते हैं। यदि हम आप उसे समझ सकें तो बहुत अच्छी बात है। वह बात यह है...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् की प्रतिज्ञा- मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख, तेरे सब मार्ग न खोल दूं तो कहना।। मेरे लिये खर्च करके तो देख, कुबेर के भंडार न खोल...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हर व्यक्ति प्रारब्ध की डोर से बंधा हुआ है। हम जो नहीं चाहते, वह जीवन में होता रहता है और जो चाहते हैं, वह नहीं हो पाता। क्योंकि व्यक्ति...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, महारास में राधा-कृष्ण बीच में होंगे और गोपियों चारों ओर नृत्यकर रही होंगी। आध्यात्मिक दृष्टि से आत्मा हृदय के बीच, भक्ति के साथ और बुद्धि के साथ स्थिर रहती...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सात वर्ष की आयु में सात कोस का गोवर्धन, सात दिन के लिये अंगुली पर उठाया, अर्थात् भजन के लिये, शरणागति के लिये, मुक्ति के लिये भी दिन साथ...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य का आध्यात्मिक पक्ष और आराधना पक्ष बहुत श्रेष्ठ और भगवत प्राप्ति में बहुत सहायक है। भक्त अपने हृदय को, अपने मन को ही मथुरा मान...