Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वेद भगवान् कहते हैं कि संसार में सब रिश्तेनाते स्वार्थ के हैं। सब स्वार्थ बस प्रीति करते हैं।निःस्वार्थ प्रेम तो केवल परम पिता ईश्वर ही करते हैं या ईश्वर...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जरा सी भूल हुई, स्कूटर फिसला, चक्का गलत घूमा कि दुर्घटना में व्यक्ति प्राण गंवा बैठा। एक ठोकर ही प्राण ले गई। काल हर समय व्यक्ति के संग है।...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वैराग्य ही एक ऐसा तत्त्व है जो पदार्थों का सही मूल्यांकन करवाकर उनके सही स्वरूप का दिग्दर्शन कराता है। ऐसे एक्स-रे मशीन शरीर के अंदर के दोष अथवा रोग...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अब प्रश्न है कि वैराग्य का उदय कैसे हो? इसके लिये शास्त्रकारों ने सनातन धर्म के नियमों पर दृढ़ता से चलने का सुझाव दिया है। वैराग्य की प्राप्ति से...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीशुकदेवजी ने कहा, परीक्षित चार दिन बीत गये, तुमने जल भी ग्रहण नहीं किया। परीक्षित जी ने निर्जला भागवत सप्ताह की कथा सुनी थी। शुकदेव जी ने कहा कि...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सारांश- मोह ममता से नाता तोड़ो, ईश्वर से नाता जोड़ो, रिश्तों के राग को मरोड़ो, धन संपत्ति परिवार से आसक्ति छोड़ो और वैराग्य की ओर मुख मोड़ो तो जीवन...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वेद में लिखा है, ईश्वर किसको मिलता है? ईश्वर जिसे मिलना चाहे उसी को ईश्वर मिलता है। ईश्वर जिसको मिलना चाहता है उसके अंदर भक्ति का अंकुर पैदा कर...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रात्रि का पूर्ण अंधकार है, बेड़ियाँ, हथकड़ियां लगी हुई थीं। हाथ को हाथ दिखाई नहीं दे रहा था। महरानी श्रीदेवकीजी श्रीवसुदेवजी से कहती हैं, हमें भी कभी इन बेड़ियों,...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गृहस्थ जीवन में तो कोई-न-कोई तनाव बना ही रहता है। गृहस्थ जीवन ऊंट की पीठ के समान है और भगवान का भजन इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक की...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीकृष्ण बिरह-व्यथित पांडवों का परीक्षित को राज्य देकर स्वर्ग सिधारना। भागवत में प्रसंग आया है कि- जब अर्जुन द्वारिका से लौट कर आये और आकर सुनाया की मैं वही...