Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीशुकदेवजी ने कहा, परीक्षित चार दिन बीत गये, तुमने जल भी ग्रहण नहीं किया। परीक्षित जी ने निर्जला भागवत सप्ताह की कथा सुनी थी। शुकदेव जी ने कहा कि...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गजेंद्र-मोक्ष, समुद्र-मंथन एवं वामन अवतार- समुद्र मंथन का अभिप्राय अपने हृदय-मंथन से है। हम सबका हृदय भी समुद्र है। वह दूध का समुद्र माथा गया। उससे अमृत निकला जिसे...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री शुकदेव जी का उपदेश- गृहस्थ जीवन में मोह पीछा नहीं छोड़ता। भगवान् का भजन बहुत करते हैं लोग पर संसार में मेरापन नहीं छूटता। जिसके जीवन से "...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत की कथा सदा सुनते रहो- कौशिकी संहिता के आधार पर अमरनाथ में भगवान शंकर ने पार्वती अम्बा को अमर कथा सुनाई थी। श्रीमद्भागवत की कथा ही वो अमर...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, धर्मेण शासते राष्ट्रे- जहां धर्म का शासन होता है, उस राष्ट्र में अतिवृष्टि या अनावृष्टि नहीं होती। उस राष्ट्र पर हमला करने वाला हमलावर विजई नहीं हो सकता। भगवान...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रास पञ्चाध्यायी- जैसे छोटा बच्चा शीशे में अपने चित्र को देखकर नाचने लगता है। रास में शामिल भक्तों का हृदय शीशे की तरह शुद्ध और निर्मल हो गया था,...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, निराकार ब्रह्म साकार होकर प्रकट दिखता है। जिसका आकार न दिखे वो निराकार है, जिसका आकार देख सके वह सरकार है। जैसे अग्नि जब तक लकड़ी में छुपी है...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य जब हुआ, समय भाद्रमास, कृष्णपक्ष, अष्टमी तिथि, बुधवार दिन, रोहिणी नक्षत्र, रात्रि बारह बजे का समय, दिशाएं निर्मल, शीतल मंद सुगंध पवन चलने लगी, हर...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यह शरीर रथ है, इंद्रियां घोड़े हैं, मन लगाम है और बुद्धि सारथि है, जीवात्मा इसमें रथी है, गुरु का दिया हुआ मंत्र धनुष है और चित्त की वृत्ति...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् का दिव्य स्वरुप है। श्रीमद्भागवत महापुराण में एक बहुत अच्छी बात कहते हैं। यदि हम आप उसे समझ सकें तो बहुत अच्छी बात है। वह बात यह है...