Divya morari bapu

परमात्मा ने संसार को आनंद का बिंदु किया है प्रदान: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् की प्रतिज्ञा- मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख, तेरे सब मार्ग न खोल दूं तो कहना।। मेरे लिये खर्च करके तो देख, कुबेर के भंडार न खोल...

धर्म-कर्म और ईश्वर की आराधना से टल जाती है आने वाली विपत्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हर व्यक्ति प्रारब्ध की डोर से बंधा हुआ है। हम जो नहीं चाहते, वह जीवन में होता रहता है और जो चाहते हैं, वह नहीं हो पाता। क्योंकि व्यक्ति...

ईश्वर की प्रसन्नता के लिए किया गया हर काम भक्ति है: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, महारास में राधा-कृष्ण बीच में होंगे और गोपियों चारों ओर नृत्यकर रही होंगी। आध्यात्मिक दृष्टि से आत्मा हृदय के बीच, भक्ति के साथ और बुद्धि के साथ स्थिर रहती...

भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की महिमा को पूरे संसार में किया प्रकट: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सात वर्ष की आयु में सात कोस का गोवर्धन, सात दिन के लिये अंगुली पर उठाया, अर्थात् भजन के लिये, शरणागति के लिये, मुक्ति के लिये भी दिन साथ...

भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य का आध्यात्मिक पक्ष भगवत प्राप्ति में है बहुत सहायक: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य का आध्यात्मिक पक्ष और आराधना पक्ष बहुत श्रेष्ठ और भगवत प्राप्ति में बहुत सहायक है। भक्त अपने हृदय को, अपने मन को ही मथुरा मान...

ध्यान के समान पाप को नष्ट करने वाला नहीं है दूसरा कोई साधन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, थोड़ा-सा वैराग्य और मन को बस में करने का अभ्यास भगवत्प्राप्ति के लिए आवश्यक सोपान हैं। जिनको नाम जप का अभ्यास काफी हो चुका है, उन्हें संत कहा करते...

शुभ कर्म और स्वधर्म के आधार पर वैराग्य प्राप्त करने वाला ही है नरोत्तम: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।श्रीमद्भागवतमहापुराण में श्रीशुकदेव जी का आगमन।। शुभ कर्म और स्वधर्म के आधार पर वैराग्य प्राप्त करने वाला ही नरोत्तम है। विदुर ने कहा- धृतराष्ट्र ! तुम्हें धिक्कार है। देखो...

गुरु ज्ञान के प्रकाश से मानव के भाग्य को कर देता है प्रकाशित: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवतमहापुराण वेद रूपी कल्पवृक्ष का परिपक्व फल है। जिसमें गुठली, छिलका जैसा कुछ त्याज्य नहीं है, केवल रस ही रस है।अतः भक्तों को यह रस जीवन भर पीते रहना...

साधना के लिए संसार छोड़ने वाले साधक भी सिद्धि और प्रसिद्धि के पीछे दौड़ते हैं: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दो पर्वत- बद्रीनारायण की यात्रा पर जाते समय बीच में जय-विजय नामक दो पहाड़ो को पार करने में यात्रियों को अत्यन्त कष्ट होता है। किन्तु इन पहाड़ों को पार...

अपनी इच्छा के अनुसार की गई शुद्धि कहलाती है स्वच्छता: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, स्वच्छता और पवित्रता-आज पवित्रता का कोई मूल्य ही नहीं रह गया है। सभी स्वच्छता को ही पवित्रता मानकर पूजते हैं, परन्तु स्वच्छता और पवित्रता में बहुत अन्तर है। अपनी...
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