Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवताऽयं भागवतं= भागवत और भगवान में रंच मात्र अंतर नहीं है. हम जीवों के कल्याण के लिए भगवान ही भागवत के रूप में प्रकट हुए हैं. भागवत की पूजा करने...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन में ज्ञान का उदय हो जाये तो उसकी पहचान है शोक की निवृत्ति. फिर जीवन में किसी प्रकार का शोक नहीं रह जाता. अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दो ऐसे महापुरुष हुए जिनको भगवान सदैव चतुर्भुज दिखते हैं. (क) अर्जुन विश्वरूप का दर्शन करने के बाद, अर्जुन ने कहा हमें वही चतुर्भुज रूप का दर्शन कराओ, जिसे मैं...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यह जगत भी परमात्मा का रूप है। यही वैष्णव सिद्धांत है। जो जगत का कर्ता भी है और स्वयं जगत का रूप भी है। ये सारा जगत भगवान का ही...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।श्री विष्णु महापुराण कथा में अपवर्ग क्या है? मुक्ति क्या है? मुक्ति का भी वास्तविक निरूपण विष्णु पुराण में किया गया है। मुक्ति के विषय में भी लोगों के भिन्न-2...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान व्यास स्वयं कहते हैं। "पुराण विद्या च सनातनी " यह विद्या सनातनी है। इसका मतलब द्वापर में पाराशर महर्षि और व्यास जी पुराण की रचना करते हैं। इसके पहले...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीविष्णुमहापुराण परम सात्विक पुराण है और इस पुराण में तत्वों का निरूपण किया गया है. ईश्वर जीव और माया इन तीन तत्वों का निरूपण पाराशर महर्षि ने बड़े सरल ढंग...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री विष्णु महापुराण की क्या विशेषता है?
(क) श्रीविष्णु महापुराण अठारह पुराणों में परम सात्विक पुराण है। अठारह पुराण हैं वे तीन प्रकार के हैं। छःसात्विक, छः राजस, छःतामस हैं. सतोगुण,...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, विदुर जी ने पूँछा कृष्ण कथा के विषय में - और जहां उद्धव जी ने कथा सुनाई, उस जगह का नाम वृंदावन में ज्ञान गुदड़ी है। दो संत ज्ञान गुदड़ी...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत में तीन शब्द है- तेजो, वारि, मृदां,। भगवान तीन रूपों में ही मिले। अठारह हजार श्लोकों वाली इस भागवत में भगवान तीन तरह से मिले।
1-तेजो÷ अपने साधना के तेज...