Divya morari bapu

पुरुषार्थ के मुर्तमान स्वरूप हैं भगवान कार्तिकेय: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शिव विश्वास के मूर्तमान स्वरूप है और माता पार्वती मूर्तिमान श्रद्धा स्वरूपा हैं. भगवान शिव समाधि में थे और माता पार्वती ने साधना पूर्ण कर लिया था. उसी...

हम सबके द्वार पर उपस्थित हैं घट-घट में बसने वाले शिव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान शिव की अद्भुत बरात का वर्णन है, ऐसी बारात सृष्टि के इतिहास में कभी नहीं निकली. शिव बारात में समस्त देवता शामिल थे, दानव, मानव, भूत, पिशाच, शाकिनी,...

सबसे पहले ओंकार की हुई थी उत्पत्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पृथ्वी तत्व है ब्रह्मा, जल तत्व है विष्णु ,अग्नि तत्व है रुद्र, वायु तत्व है महेश्वर और आकाश तत्व है शिव, ये पांच तत्व हो गये। भगवान शंकर के पांच...

कलयुग में भगवती दुर्गा और भगवान गणेश हैं प्रत्यक्ष देवता: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गणपति का स्मरण अनिवार्य है। गणपति का सबसे बढ़िया मंत्र है- ' ऊँ गं गणपतये नमः ' जब जब देवताओं पर संकट आये हैं  उन्होंने इसी मंत्र का जप किया...

विघ्नों के निवारण के लिए गणेश जी की पूजा जरूरी: दिव्य मोरारी बापू

पुष्‍कर/राजस्‍थान। परम पूज्‍य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रेयांसि बहु विघ्नानि, शास्त्र का वचन है, शुभ कार्यों में बहुत विघ्न आते हैं. आप साधना करने चले हैं, ईश्वर प्राप्ति के लिये चले हैं, विघ्न आयेंगे, बहुत आएंगे,...

सभी संतो में श्रेष्ठ हैं जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य: दिव्‍य मोरारी बापू

पुष्‍कर/राजस्‍थान। परम पूज्‍य संत श्री दिव्‍य मोरारी बापू ने कहा, सनातन धर्म में पांच देवता प्रधान माने गये हैं. एक ही परमात्मा पांच रूपों में अभिव्यक्त हो रहे हैं,  उनमें गणपति का प्रथम स्थान है. घर-घर में गणेश पूजा...

अगर स्वार्थ बुद्धि का त्याग अधिक बढ़ रहा है, तो समझना कि हम भगवान के नजदीक जा रहे हैं: दिव्‍य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हम कहां हैं ? प्रतिदिन यह देखते रहना चाहिये कि जीवन में कितना सुधार आया और कितना अभी बाकी है। यदि बिल्कुल सुधार नहीं हो रहा है तो बहुत खतरे की...

हृदय की मलिनता के कारण भक्त को ईश्वर के सही स्वरूप का नहीं हो पाता है अनुभव: दिव्य मोरारी बापू

पुष्‍कर/राजस्‍थान। परम पूज्‍य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दिव्य स्वरूप है भगवान का। श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान व्यास एक बहुत अच्छी बात कहते हैं, यदि हम आप उसे समझ सकें, तो बहुत अच्छी बात है. भागवत में...
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