Divya morari bapu

पार्थ का मतलब होता है पुरुषार्थ: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीरामजी का अनुसरण कठिन है तो श्रीकृष्णजी को समझना कठिन है। श्रीकृष्णजी को तो बड़े पंडित भी नहीं समझ पाये। श्रीकृष्णजी एक प्रश्नार्थ हैं? और श्रीराम एक पूर्ण विराम...

व्यापक और सर्वत्र समान है परमात्मा: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, युधिष्ठिर का अर्थ है धर्म। भीम का मतलब है बल, शक्ति। अर्जुन का मतलब है आत्मा, नकुल का मतलब है रूप और सहदेव का मतलब है ज्ञान। राजा धार्मिक...

राष्ट्र के विकास के लिये बहुत बड़ा योगदान कर सकता है धर्म: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, साधु का अर्थ है जिसने अपने लिये जीना छोड़ दिया। साधु का अर्थ है जिसने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। जो समाज और राष्ट्र के लिये जी रहा...

श्रीव्यासजी के वचन रूपी सरोवर में खिला है महाभारत रूपी कमल: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीव्यासजी के वचन रूप सरोवर में महाभारत रूप कमल खिला है और महाभारत रूप कमल की जो सुगंध है, सुरभि है, उत्कट गंध है उसका नाम ही गीता है। किसी...

वाणी पर संयम रखने से बहुत सी समस्याएं हो जायेंगी दूर: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ज्ञान तो कुएं की भांति है, उलीचते रहो। उलीचते रहो। कुआं भी भयभीत नहीं होता कि कोई और ले गया तो फिर मेरा क्या होगा? गुण औरों के देखें...

संसार से मुख मोड़ लेने का नाम नहीं है धर्म: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन दे करके परमात्मा ने हम सब पर बड़ा उपकार किया। हम सबको परमात्मा के प्रति प्रेम हो न हो लेकिन परमात्मा को हम सबके प्रति बहुत प्रेम है।...

स्थिर मन से ही आत्मा का यथार्थ स्वरूप होता है स्पष्ट: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, किसी भी युक्ति से, किसी प्रकार से भी मन को विषयों से हटाकर परमात्मा में लगाने की चेष्टा करना चाहिए। जैसे चंचल जल में रूप विकृत दिखाई पड़ता है...

प्रेम पूर्वक कीर्तन करना मन पर विजय पाने का है एक उत्तम साधन: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन के कार्यों को देखना- मन को वश में करने का एक बड़ा उत्तम साधन है। मन से अलग होकर निरंतर मन के कार्यों को देखते रहना। जब तक...

भक्तों के प्रभाव और चरित्र के चिंतन मात्र से आनंद से भर जाता है चित्त: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन को रोककर परमात्मा में लगाने का एक अत्यंत सुलभ उपाय है, जिसका अनुष्ठान सभी कर सकते हैं। वह है आने जाने वाले श्वास प्रश्वास की गति पर ध्यान...

श्रुति और भक्ति शास्त्र के सिद्धांत वचनों से भगवान, ज्ञानी और भक्तों की एकता होती है सिद्ध: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन को रोककर परमात्मा में लगाने का एक अत्यंत सुलभ उपाय है, जिसका अनुष्ठान सभी कर सकते हैं। वह है आने जाने वाले श्वास प्रश्वास की गति पर ध्यान...
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