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पुण्य कार्यों में जो सहयोग-सहायता प्रदान करते हैं, वे भी बनते हैं पुण्यभागी: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन के गुरु बनो- योगी अपने मन को बलपूर्वक वस में करने का प्रयत्न करते हैं, परन्तु इससे वह पूरा बस में नहीं होता, बल्कि कभी-कभी तो बीच में...

भगवान श्रीराधाकृष्ण का ही स्वरूप है श्रीमद्भागवत महापुराण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान श्रीराधाकृष्ण का ही स्वरूप है. भागवत और भगवान में रंच मात्र भी अंतर नहीं है. भगवान की शब्दमयी मूर्ति भागवत महापुराण है. श्रद्धा पूर्वक कथा श्रवण करने...

तीर्थ की पवित्र भूमि में किया गया सत्कर्म होता है अधिक श्रेयस्कर: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कर्म में सावधानी! जीवन के हर क्षेत्र में सावधानी अति आवश्यक है। भजन में भी सावधानी अति आवश्यक है। सकाम भजन ईश्वर तक पहुंचने वाला नहीं होता है, वह...

प्रभु को हिसाब देने का पवित्र दिन, मृत्यु का दिन है: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रावण के बुरे कर्मों से परेशान होकर विभीषण जब श्रीराम की शरण में आये, तब श्रीराम ने उनका " आइए लंकेश ! " कहकर प्रेम से स्वागत किया और रावण-...

जिसका हृदय विशाल और नयन स्नेहित हों उसे ही प्रभु की कृपा होती है प्राप्त: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कृपामार्ग- जीव यदि संन्यास ले और योगमार्ग का अभ्यासी बने तभी उसे भक्ति प्राप्त होती है, इसके बिना नहीं। यही नियम है। परंतु यदि किसी जीव पर परमात्मा की...

यौवन में धीरे-धीरे संयम बढ़ाते हुए भक्ति करोगे तो इसी जीवन में प्रभु हो जाएंगे प्राप्त: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  यौवन में धीरे-धीरे संयम बढ़ाते हुए भक्ति करोगे तो इसी जीवन में प्रभु प्राप्त हो जाएंगे। परंतु जिसका यौवन व्यसन और विषयों के पीछे ही भटक रहा है, उसे...

जो मनुष्य जीवन अच्छे ढंग से नहीं जीता, उसी को होती है घबराहट: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  बृजवासी गोप गोपियां वस्त्र सन्यासी नहीं बल्कि भक्ति सन्यासी थे। उनका हृदय हरिमय था। वह यदि घर का काम करते थे तो भी श्रीराधाकृष्ण स्मरण में डूब कर करते,...

मनुष्य मलिक नहीं, प्रभु का है मुनीम: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  प्रभु के चरणों में जो हमेशा सद्भाव रखता है, प्रभु के प्रत्येक विधान को जो आनंद के भाव से स्वीकार करता है, वह प्रभु का ही बन जाता है...

नंद-यशोदा को पूरा ब्रज आशीर्वाद करता था प्रदान: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत महामहोत्सव- सभी की सेवा के द्वारा जो आनंद प्राप्त करता है, वही सभी के आशीर्वाद प्राप्त करने का अधिकारी है. सभी का आशीर्वाद प्राप्त करना बहुत मुश्किल है. सभी...

इंद्रियों को यदि भगवद रस का स्वाद चखाया जाए, तो जगत के तमाम रस लगने लगेंगे फीके: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मिष्ठान्न और चाय- प्रत्येक वस्तु प्रभु को अर्पण कर दो और बाद में प्रभु की प्रसादी के रूप में ग्रहण करो। तुम्हारी इंद्रियों की शक्तियां सांसारिक विषयों में प्रवाहित...
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