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अन्तकाल में संसार के किसी भी चित्र का चिंतन करने से मन हो जाता है खराब: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अन्तकाल में संसार के किसी भी चित्र का चिंतन करने से मन खराब हो जाता है, क्योंकि संसार के सब चित्र-आकृतियां माया से बनी हुई है। संसार में किसी...

जीव का संसार के साथ कच्चा है सम्बन्ध: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आपको संसार अच्छा लगता होगा तो आपके मन में संसार जायेगा और आपको प्रभुस्वरूप अच्छा लगता होगा तो आपके हृदय में प्रभु-स्वरूप बस जायेगा। मानव को शान्ति से विचार...

भक्ति को गौण समझने वाले योगी और ज्ञानी का होता है पतन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति से ही ज्ञान परिपूर्ण होता है और योग भी भक्ति से ही सफल होता है। भक्ति रहित ज्ञान और भक्ति रहित योग मृत्यु को बिगाड़ता है। परमात्मा के...

मान-अपमान में मन को शान्त रखना है महान पुण्य का कार्य: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रारब्ध की महत्ता- सम्पत्ति सन्तति और सांसारिक सुख तो पूर्वसंचित प्रारब्ध के अनुसार ही मिलते हैं। आपके जीवन की फिल्म तो जन्म के पहले ही निश्चित हो गई है।...

सद्गुरु की कृपा से ही बुद्धि में आती है स्थिरता: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सद्गुरु की महिमा- जो प्रभु के पास ले जाता है, वह ही श्रेष्ठ सद्गुरु है। सद्गुरु की कृपा से ही बुद्धि में स्थिरता आती है। सद्गुरु की शरण प्रभु...

सत्संग के बिना जागृत नहीं होता विवेक: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, विवेक आवश्यक- विवेक से थोड़ा सुख भी भोगना चाहिए और भक्तिमय जीवन यापन करके भगवान को भी प्राप्त करना चाहिए। शरीर में चाहे रहो, पर शरीर से अलग हो...

क्षण और कण को बचाने की कला जानने वाला ही है संत: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जहां आचार-विचार की शुद्धि है, वहीं भक्ति परिपुष्ट होती है। सदाचार नींव है, सद्विचार भवन है। नीवें मजबूत होंगी, तो भवन टिक सकेगा। गर्भवती स्त्री के आचार-विचार का गर्भस्थ...

मन को जीतने वाला ही बन सकता है जगत विजेता: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, एक सिक्के के दो पहलू- जो सुख भोगता है, उसे दुःख भोगना ही पड़ता है।जिसके सिर पर भगवान की जगह अभिमान बैठा है, वह बहुत दुःख पाता है। जो...

मुक्ति शरीर के मरने पर नहीं, मन के मरने पर होती है प्राप्त: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जहाँ भेद, वहाँ भय- जहां भेद है, वहीं भय दिखाई देता है। प्रत्येक प्राणी में प्रभु की चैतन्यमयी प्रतिमा के दर्शन हो रहे हैं। जब सबके भीतर प्रभु बैठे...

सदुपयोग के बिना अभिशाप बन जाती है संपत्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सत्संग के अमृतविन्द- लक्ष्मी गौड़, लक्ष्मीनारायण मुख्य स्वयं के हाथों सत्कर्म में प्रयुक्त होने वाला धन ही अपना है। पैसे के लिए प्रयत्न करो, पाप नहीं। जीवन में पैसा...
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