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इंद्रियों के प्रत्येक द्वार पर श्री कृष्ण को विराजमान करने का नाम है द्वारिका: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जरासंध और द्वारिका-जरासंध के जब लगातार आक्रमण होने लगे तब शांति और सुरक्षा के लिए श्री कृष्ण ने द्वारिका बसाई। जरासंध अर्थात् जरा - वृद्धावस्था। और द्वारिका अर्थात् द्वारे...

प्रतिदिन भजन और परोपकार करने से ईश्वर की होती है प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जगो-सावधान हो जाओ- मनुष्य का जीवन तो सांप के मुंह में पड़े हुए मेंढक जैसा है। उसका जीवन मौत के मुंह में है, फिर भी वासना की मक्खियों को...

भावना का नाश करके उसे भजननन्दी बनाना ही सच्चे संत का होता है लक्ष्य: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बचपन में ही जीवन का गठन होना प्रारम्भ होता है। उस समय सत्संग के अभिसिंचन की आवश्यकता है। सच्चे सन्त के दर्शन ही दुर्लभ हैं, फिर उनकी सेवा तो...

भक्तों के क्रोध में भी छिपा होता है प्रेम: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, काजल का डिठौना- माँ अपने बालक को जब घर से बाहर लेकर निकलती है, तो अपने अंतर की प्रसन्नता को व्यक्त करते हुए वह उसका खूब श्रृंगार करती है. किन्तु...

जिससे मिलने के लिए स्वयं परमात्मा सामने दौड़कर आयें, वही है सौभाग्यशाली: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रभु से मिलने की तीव्र आतुरता जिसके अंतर में पैदा होती है, वही गोपी है. गोपी भाव की पराकाष्ठा में नाम और रूप सम्पूर्ण रूप से विस्मृत हो जाता है....

प्रभु भक्ति के बिना व्यर्थ है जीवन: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रभाते करदर्शनम-  प्रभाते करदर्शनम् 'के पीछे अपनी संस्कृति की कितनी भव्य भावना समाई है! भारतीय संस्कृति कहती है: हे मानव नित्य सवेरे ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ध्यान चाहे परमात्मा का करो,...

ज्ञान का रूप यदि क्रिया में परिवर्तित नहीं होता है तो वह शुष्क ही रहेगा: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन की तंदुरुस्ती- शरीर की तंदुरुस्ती के लिए हम जितनी सावधानी रखते हैं उतनी मन की तंदुरुस्ती के लिए भी रखें। दूसरा  सब कुछ भले ही बिगड़े, पर मन...

प्रभु-प्रेम के बिना शोभा नहीं देता ज्ञान: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रभु-प्रेम- प्रभु-प्रेम के बिना ज्ञान शोभा नहीं देता. ब्रह्मज्ञानी को ब्रह्म प्रेमी बनना पड़ता है. जहां कथा-कीर्तन आदि होते हैं, वहां प्रभु गुप्त रूप से आते हैं, क्योंकि प्रभु...

दूसरे के पाप का विचार हमारे मन को बनाता है पापी: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दोष-दृष्टि- कई लोगों को संतों में दोष दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग तो भगवान में भी बुराइयां ढूंढने की नजर रखते हैं। मनुष्य के मन में...

मन की रखवाली करने वाला ही बन सकता है संत: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन के पाप- मनुष्य अपने शरीर से उतने पाप नहीं करता है, जितने पाप अपने मन से करता है. तन से किए गए पापों के पकड़े जाने का डर रहता...
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