Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत एक, रामायण अनेक- भागवत-कथा का वर्णन करना राम कथा के वर्णन की अपेक्षा सरल है। क्योंकि श्रीमद्भागवत की एक ही संहिता है। भगवान वेदव्यास का भागवत एक सरल...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीराम राज्याभिषेक का उत्सव केवल अयोध्या के लोगों के बीच ही रहा हो, ऐसा नहीं है अपितु सारी सृष्टि उत्सवमयी हो गयी है। वैदिकों का शुभागमन हुआ है। अयोध्या...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री हनुमान जी का वास्तविक कर्तृत्व- श्री हनुमान जी द्वारा लंका दहन किया जाना हमें जितना आसान लगता है, उतना सहज और साधारण नहीं है। इसके पार्श्व में श्री...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री भरत जी का चित्रकूट की ओर प्रस्थान- अयोध्या से श्री भरत जी की यह यात्रा चित्रकूट की ओर निकली है। इससे पूर्व श्री रामचरितमानस में वर्ण आया है ...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जनकनंदिनी जानकी सर्वथा अलौकिक है और दशरथ नंदन श्रीराम भी सर्वथा अलौकिक है। इन दोनों का परिणय कोई साधारण विवाह नहीं है। यह तो मिथिलावासियों का परम सौभाग्य है...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सत्पुरुषों के जन्म का नियम- भगवान ने धरती पर अवतरित होने का निश्चय तो किया किन्तु अब भगवान के समक्ष यह प्रश्न है कि इस भूमण्डल पर जन्म कहां...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हमें व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में कोई निर्णय लेते समय एक दुविधा निर्माण होती है कि कौन-सा निर्णय योग्य है और कौन-सा निर्णय अयोग्य है? यदि सत्य धर्म...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रभु श्री राम और उनके परिजनों ने जो धर्माचरण किया, उसका यथार्थ ठीक से समझना होगा। धर्मशास्त्र में लिखे गये शब्दों का ही विचार करें तो श्री भरत यदि...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, इस संसार में भगवान श्रीराम की कथा से सुन्दर और दिव्य कथा वास्तव में कहीं भी नहीं है। आठों पहर मनुष्य जिस एक रूप, एक नाम में लीन रहता...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत प्रसादी-दो हाथ- प्रभु ने दो हाथ सत्कर्म करने के लिए दिए हैं। जो हाथ परमात्मा की सेवा नहीं करते और परोपकार में संलग्न नहीं रहते, वे मुर्दे के...