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भगवती सती ने दक्ष के यज्ञ में शरीर का किया त्याग: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रश्न-भगवान की कथा सुनने का क्या फल है? उत्तर- भगवान की कथा श्रवण करने के अनंत फल है। उसमें से संतों का एक भाव श्रद्धा से हृदयंगम करना चाहिए। भगवान...

सत्पुरुषों में जो आसक्ति है, वही है सत्संग: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जब द्रवहिं दीनदयाल राघव साधु संगति पाइये। जेहिं दरस परस समागमादिक पाप रासि नसाइए।। ये सत्संग की महिमा है। मानव जीवन के लिए सत्संग सबसे बड़ा  खजाना है। संसार की...

ईश्वर की आराधना से युक्त होना चाहिए हमारा आपका जीवन: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण में बारह स्कंध हैं। जिसमें दशम स्कंध को भगवान का हृदय कहा गया है। रासलीला के जो पांच अध्याय हैं। इसे रास पंचाध्यायी कहते हैं। रास पंचाध्यायी को...

भगवान के अनुग्रह से ही हम सब का हो रहा है पोषण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सभी का पालन, पोषण, संरक्षण, संवर्धन भगवान की कृपा से ही हो रहा है। मनुष्य ही नहीं जीव-मात्र का पोषण भगवान की कृपा से ही होता है। श्रीमद्भागवत महापुराण का...

प्रत्येक पुराण में मन्वंतर लीला का किया गया है निरूपण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, किसी भी पुस्तक को हम पुराण नहीं कह सकते हैं। उसके अंदर पुराण के लक्षण विद्यमान होना आवश्यक है। श्रीमद्देवीभागवत महापुराण में लिखा है- सर्गश्च प्रतिसर्गसश्च वंश मन्वन्त्राणि च। वंशानुचरितं चैव पूराणं...

धर्म की मर्यादा में चलकर समाज, राष्ट्र और विश्व की समस्त समस्याओं का हो सकता है समाधान: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्। जो कार्य अपने लिए अनुकूल न हो, वैसा व्यवहार दूसरों के साथ मत करो। धर्म की इस परिभाषा के भीतर, सारी मानवता आ गई। अगर हर...

भगवान का वांगमय स्वरूप है श्रीमद्भागवत महापुराण: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण सत्य स्वरूप है। भगवान श्रीराधा-कृष्ण और भागवत महापुराण में रंच मात्र अंतर नहीं है। जो पुण्य फल भगवान के दर्शन, श्रवण, पूजन से प्राप्त होता है, वही पुण्य...

समस्त देवताओं का चलती फिरती मंदिर हैं गौ माता: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान आत्माराम है, आत्मा श्री राधा रानी है. भगवान आप्तकाम है. वांछित पदार्थ अर्थात् ईक्षित पदार्थ। भगवान का वांछित कार्य क्या है. भगवान किस लिए आये. गौर्भूत्वा- संग गो तनु...

भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को माध्यम बनाकर जगत को दिया श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज के पाँच हजार वर्ष पहले मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण ने धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की भूमि में दिया। इसीलिए इसे मोक्षदा एकादशी...

सत्संग से ही मनुष्य की प्रकृति में हो सकता है सुधार: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सम्पूर्ण प्रकृति में विकृति आ गई है, इसका सुधार सत्संग से ही हो सकता है. प्रकृति का दो अर्थ है- एक संसार की प्रकृति, जिसे माया भी कहते हैं...
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