Rajasthan

गुरु ज्ञान के प्रकाश से मानव के भाग्य को कर देता है प्रकाशित: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवतमहापुराण वेद रूपी कल्पवृक्ष का परिपक्व फल है। जिसमें गुठली, छिलका जैसा कुछ त्याज्य नहीं है, केवल रस ही रस है।अतः भक्तों को यह रस जीवन भर पीते रहना...

साधना के लिए संसार छोड़ने वाले साधक भी सिद्धि और प्रसिद्धि के पीछे दौड़ते हैं: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दो पर्वत- बद्रीनारायण की यात्रा पर जाते समय बीच में जय-विजय नामक दो पहाड़ो को पार करने में यात्रियों को अत्यन्त कष्ट होता है। किन्तु इन पहाड़ों को पार...

अपनी इच्छा के अनुसार की गई शुद्धि कहलाती है स्वच्छता: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, स्वच्छता और पवित्रता-आज पवित्रता का कोई मूल्य ही नहीं रह गया है। सभी स्वच्छता को ही पवित्रता मानकर पूजते हैं, परन्तु स्वच्छता और पवित्रता में बहुत अन्तर है। अपनी...

समाज में संत न हों तो समाज टिक नहीं सकता: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवती कथा- भागवत प्रसादी संत-बनो-  हर एक गांव में एक-आध सच्चा सन्त तो अवश्य ही होता है। समाज में सन्त न हों तो समाज टिक नहीं सकता। इस पर...

संसार का सम्बन्ध कदाचित दगा दे दे, किन्तु प्रभु के साथ स्थापित किया गया प्रेम सम्बन्ध कभी दगा नहीं देता: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवती कथा- भागवत प्रसादी तक्षक काटने ही वाला है- जीवन मात्र को एक-न-एक दिन काल रूपी तक्षक काटने ही वाला है। जिस प्रकार परीक्षित ने मृत्यु के समय तक्षक...

चंदन और मेहंदी के समान होता है संतों का स्वभाव: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, चंदन और मेहँदी- स्वयं की सुख-सुविधा देखते हुए जो दूसरे को सुखी करने का प्रयत्न करता है, वह सज्जन है। स्वयं के सुख के लिए दूसरे को दुःखी करने...

पुण्य के कामों को करते समय मनुष्य अभियान में हो जाता है चूर: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अजब-सी बात है- एक अजब-सी बात है। आदमी पुण्य की कमाई करते समय ही बहुत असावधान रहता है। पुण्य के कामों को करते समय वह अभियान में चूर हो...

प्रभु विषयक भक्तिरस में होती है अनोखी मिठास: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भागवत प्रसादी- भक्ति रस श्रीकृष्ण की कथा में सभी रस एकत्रित हो गये हैं। जिसे जो रस पसन्द हो, वह रस का आस्वादन कर सकता है। श्रीकृष्ण-कथा का रस...

जो ईश्वर को भूल जाते हैं, वे कभी नहीं होते सुखी: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दुःख का मुख्य कारण-आज का मानव दुःखी है,  क्योंकि लोग प्रभु को भूल गये हैं। लोग दुःखी हैं, क्योंकि लोग प्रभु के उपकार पर कृतज्ञता का अनुभव नहीं करते।वर्तमान...

जगत का विस्मरण होगा तो मन प्रभु-स्मरण में हो जायेगा मग्न: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  प्रेम-तन्मयता- अपने मन को प्रेम से समझा कर ऐसी ऊँची भूमिका पर पहुँचाओ कि वह सतत प्रभु-स्मरण और चिन्तन में ही रचा पचा रहे। आपका मन किसी भी मनुष्य...
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