Rajasthan

धरती मां स्वयं के दुःखों को दबाकर हमें प्रदान करती है अन्न: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बहुत प्रेम पूर्वक मिलने पर भी यदि सामने वाला व्यक्ति हमारी उपेक्षा करे तो हमें बहुत बुरा लगता है। इसी तरह स्वयं के अंगों को क्षीण करके हमें जीवन...

जिसका हृदय भावना से भरा हुआ हो, वही प्रभु के पास होता है द्रवित: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मंदिर में प्रभु के पास जाओ, तब प्रभु को भावपूर्ण आंखों से देखो और विचारो की मेरा प्रभु मुझे देख रहा है, अतः प्रभु के पास ऐसा बनकर जाना...

लक्ष्मी को माता मानकर उसका उपयोग सत्कर्म में करोगे तो वह होंगी प्रसन्न: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव मात्र परमात्मा का स्वरूप है। अज्ञान के आवरण से ही वह जीवभाव से रहता है। अज्ञान के आवरण से रहित चेतना अर्थात् ईश्वर और अज्ञान के आवरण से...

पुण्य के बदले सुख प्राप्त करने की भूमि है स्वर्ग: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, (मृत्युलोक) इस धराधाम को कर्मभूमि बताया गया है। इसके अलावा स्वर्ग हो या नर्क उसे भोगभूमि बताया गया है। कहीं जीव अपने पुण्य के फलस्वरुप सुख प्राप्त करता है,...

पाप से बचने के लिए हमें अपने मन, जीभ और आंख पर रखना चाहिए काबू: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पाप से बहुत सावधान रहना चाहिए। हमें पता भी न चले, इस प्रकार से पाप मुलायम सर्प की तरह हमारी आँख, जीभ, मन आदि इन्द्रियों के ऊपर जबरदस्त दबाव...

सत्कर्म करके प्रभु का प्रिय बनने के लिए हुआ है हमारा जन्म: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  अपने देश की संस्कृति तो ' प्रभाते कर दर्शनम् ' की है, परंतु आज तो हम सब ' प्रभाते कप दर्शनम् ' की कामना वाले बन गये हैं। हमें...

सत्संग के बिना विवेक नहीं होता जाग्रत: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कथा माता है. यह नया जन्म देती है. इसीलिए कथा सुनने के बाद पुराने दोषों का नाश होना चाहिए. कथा सुनने के बाद स्वभाव सुधारना चाहिए. कथा सुनने के बाद...

ज्ञान को जीवन में पचाने से मिलती है शांति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  केवल भोजन की बातें करने से तृप्ति नहीं होती। तृप्ति तो भोजन करने से मिलती है। इसी तरह ज्ञान की केवल बातें करने से शांति उपलब्ध नहीं होती। शांति...

जीव ईश्वर के साथ जीव जैसा सम्बन्ध करता है स्थापित: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीव अतिशय नम्रता और भावनापूर्वक भक्ति करे तो भक्तवत्सल भगवान तो भक्त के ही बन जाते हैं। परंतु अधिकतर ईश्वर को पाने के बाद जीव गाफिल बन जाता है,...

वाणी का विषय नहीं है ईश्वर: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन में सत्कर्म एवं हरि भक्ति की प्रेरणा के लिए कथा श्रवण की जाती है. परिवर्तन लाने के लिए कथा सुनी जाती है. कथा सुनने के बाद यदि जीवन में...
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