Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।मंत्र और यंत्र।। मन की मृत्यु ही मोक्ष है. मन पानी के समान है, जिस प्रकार पानी हमेशा नीचे की और बहना पसन्द करता है, इस तरह मन भी संसार...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत भगवान का वांगमय स्वरूप है. श्रीमद्भागवत स्वयं भगवान के श्री मुख से निःसृत ग्रंथ है. इतिहास पुराणानां पंचमो वेदाः श्रीमद्भागवत महापुराण पंचम वेद है. श्रीमद्भागवत महापुराण में समस्त वेदों...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आशीर्वाद मांगने से नहीं मिलता, वो तो बुजुर्गों की सेवा करने एवं उनके आह्लादित हृदय के द्रवित होने पर प्राप्त होता है. गुरुजनों के द्रवित हृदय से निकले हुए शब्द...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान कपिलदेव ने माँ देवहूति से कहा, " मां, यह जगत बुरा नहीं है, बल्कि इस जगत को देखने वाला हमारा मन बिगड़ा हुआ है." अपने मन को यदि हम...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गोपियों को उपदेश देने के लिये आये हुए शुष्क ज्ञानी उद्धव जी को कृष्णमयी राधिका ने कहा, "अरे उद्धव जी! छः शास्त्र और चार वेद पढ़ने के बाद भी तुम...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन में यदि भक्ति का विस्तार करना हो तो सभी से प्रेम करो और यदि ज्ञान बढ़ाना हो तो सभी का त्याग करो. सबके साथ प्रेम करके सबमें परमात्मा के...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सांदीपन ऋषि के गुरुकुल में विद्यार्थी बहुत थे, किंतु श्री कृष्ण की मित्रता तो सुदामा के साथ ही रही. सुदामा अर्थात् सुयोग्य संयम. ऐसे सुदामा के साथ की गई मित्रता...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पसीने की कमाई ही परमात्मा को प्यारी लगेगी. भगवान श्री कृष्ण का सभी के प्रति अद्भुत सद्भाव था. अपने प्रति स्नेहभाव या सेवा भाव रखने वालों के प्रति उनका यह...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, निराधार के बानो सहायक, सदाचार के बानो विधायक। उत्तानपाद के दो रानियां थीं। सुरुचि राजा की प्रिया रानी थी, जबकि सुनीति उपेक्षित थी।
एक दिन उत्तानपाद सुरुचि के पुत्र उत्तम को...
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पूर्ण वैराग्य के होने पर ही ज्ञानमार्ग में सफलता मिलती है और पूर्ण सद्भाव होता है, तभी भक्तिमार्ग में सफलता प्राप्त होती है. ज्ञानी का अपना मन ही नहीं होता,...