कब होगा किसका जीवन समाप्त, AI Tool लगा सकता है अनुमान, रिसर्च में 75% से ज्यादा रही एक्यूरेसी

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Artificial Intelligence Tool: अधिकतर लोग ऐसे है जो जानना चाहते है किे उनके आने वाले समय में क्‍या होने वाला है, उनको कब क्‍या करना पड़ेगा, उनका जीवन कितना लंबा होगा और कब उनकी मृत्‍यु हो जाएगी. इन सब के बारे में ज्‍योतिषों में तो कुछ बताया ही जाता है लेकिन अब विज्ञान भी पीछे नहीं है. दरअसल, एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल (AI Tool) सामने आया है जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि यह इस बात का अनुमान लगा सकता है कि किसी की कब मौत कब होगी.

आपको बता दें कि न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के में इस एआई टूल के बारे में जानकारी दी गई है. इस टूल को टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के एक प्रोफेसर सुनी लेहमान ने डेवलप किया है जिसका नाम Life2vec दिया गया है. बताया जा रहा है कि Life2vec किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पक्षों (उसकी इनकम, प्रोफेशन, रहने की जगह आदि) को एनालाइज करता है और उसकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी का अनुमान लगाता है. वहीं, इसके लगभग 75 प्रतिशत अनुमान सही भी साबित हुए हैं.

60 लाख लोगों किया गया रिसर्च

दरअसल, लेहमान की टीम ने इस एआई टूल के लिए वर्ष 2008 से 2020 के बीच डेनमार्क के 60 लाख लोगों पर रिसर्च की थी. इस रिसर्च में life2vec के माध्‍यम से यह अनुमान लगाने की कोशिश की गई थी कि 1 जनवरी 2016 के बीच किन लोगों के कम से कम 4 वर्ष और जीने की उम्मीद है. इसमें लोगों के जीवन की घटनाओं को सीक्वेंस की तरह बनाया गया था और किसी भाषा में शब्दों से वाक्य बनने की प्रक्रिया से तुलना की गई थी.

75 फीसदी से ज्यादा रही एक्‍यूरेसी

इस रिसर्च में इस एआई टूल की एक्यूरेसी रेट काफी सही थी. इसने बिना किसी गलती के यह अनुमान लगा लिया था किन लोगों की मौत साल 2020 तक हो जाएगी और इसकी एक्यूरेसी रेट 75 फीसदी से ज्यादा रही. हालांकि इस अध्ययन में जल्दी मौत का कारण बनने वाले फैक्टर्स केा भी बताया गया था.

पब्लिक नहीं हुआ ये AI टूल

सुनी लेहमान के अनुसार नैतिक मूल्यों को देखते हुए इस अध्ययन में शामिल होने वाले किसी भी व्यक्ति को उनके जीवन के अनुमान के बारे में नहीं बताया गया था. हालांकि अभी यह एआई टूल आम जनता या कॉरपोरेशंस के लिए नहीं आया है मगर लेहमान और उनकी टीम यह जानने के लिए इस पर और काम करना चाहते हैं कि यह किस तरह एआई प्राइवेसी से समझौता किए बिना उन फैक्टर्स की पहचान कर सकता है जिससे लोगों का जीवन लंबा हो सके.

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