Telepathy Benefits For Handicapped Paralysed People: कभी कभार इंसान के साथ ऐसा होता है कि वो अपने दिमाग में कुछ सोचता है और वैसा हो भी जाता है. आमतौर पर ये एक संयोग होता है. कभी ना कभी तो आपके दिमाग में आता होगा कि आप सिर्फ सोचें और मोबाइल पर मैसेज टाइप हो जाए या टीवी ऑन हो जाए. आपके सोचने मात्र से कंप्यूटर ऑन हो जाए. ऐसे में अब आपकों ये जानकर खुशी होगी कि जल्द ही ऐसा होने वाला है. आइए जानते हैं कैसे…
दिमाग में चिप
दरअसल, एक्स और टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. एलन मस्क की ब्रेन चिप बनाने वाली कंपनी न्यूरालिंक इंसानी दिमाग में सफलतापूर्वक चिप इंप्लान्ट किया है. मस्क ने खुद इसकी जानकारी ट्विटर पर शेयर की. अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा कि जिस मरीज के दिमाग में चिप लगाई गई है वो तेजी से ठीक हो रहा है और परिणाम बेहद उत्साहजनक है. बता दें कि पिछले साल ही अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) कंपनी ने इंसानों में अपनी चिप की टेस्टिंग करने की इजाजत दी थी.
Enables control of your phone or computer, and through them almost any device, just by thinking.
Initial users will be those who have lost the use of their limbs.
Imagine if Stephen Hawking could communicate faster than a speed typist or auctioneer. That is the goal.
— Elon Musk (@elonmusk) January 30, 2024
सोचने भर से हो जाएगा काम
बता दें कि मस्क ने 2016 में न्यूरो टेक्नोलॉजी कंपनी की शुरुआत की थी. जिसका लक्ष्य मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच सीधे संचार चैनल बनाना रखा गया था. अभी इसका टेस्टिंग हुआ है. लेकिन एक बार जब यह बाजार में आ जाएगी तब टेक्नीक के क्षेत्र में एक नई क्रांति आ सकती है. कंपनी न्यूरालिंक द्वारा सिक्के के आकार की एक ऐसी ब्रेन चिप बनाई गई है जिसे सर्जरी के जरिए इंसान के दिमाग में फिट किया जा सकता है. ठीक वैसे ही जैसे कि आप अपने मोबाइल फोन में सिमकार्ड को फिट करते हैं.
Check out our latest video to learn more about our PRIME Study! 🧠📱 pic.twitter.com/7zTMFzdZsF
— Neuralink (@neuralink) November 22, 2023
कंपनी से शेयर की वीडियो
अगर किसी व्यक्ति का शरीर के किसी अंग और दिमाग के बीच संपर्क टूट जाए, जिसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorder) भी कहते हैं, तो ब्रेन चिप उस संपर्क को दोबारा स्थापित करने में मदद करेगी. लकवाग्रस्त व्यक्ति ब्रेन चिप ट्रांसप्लांट के जरिए सिर्फ सोचकर कंप्यूटर का कर्सर मूव कर सकेंगे. ब्रेन चिप कैसे काम करेगी, इसका एक वीडियो भी Neuralink ने सोशल मीडिया पर साझा किया है.
विकलांग लोगों को होगा फायदा
इस चिप से न्यूरोलॉडिकल डिसऑर्ड (Nervous System Disorder) की समस्या से पीड़ित लोगों का जीवन आसान होगा. कंपनी न्यूरालिंक ने कहा है कि इस चिप को बनाने के पीछे उसका उद्देश्य न्यूरोलॉडिकल डिसऑर्ड (Neurological Disorder) से पीड़ित लोगों के जीवन को आसान करना है. इसमें लकवाग्रस्त इंसान सिर्फ सोचने मात्र से ऐसे कई काम कर पाएगा, जिसके लिए उठना, चलना और हाथ-पैर चलाना जरूरी होता है.
एलेक्सा से कैसे अलग है न्यूरालिंक?
अब आप आपके दिमाग में चल रहा होगा कि ये सारे काम तो एलेक्सा (Alexa) भी कर देती है, जैसे की स्विच ऑन करना, म्यूजिक चलाना. लेकिन एलेक्सा को कमांड देने के लिए बोलना पड़ता है. लेकिन ब्रेन चिप के लिए आपको सिर्फ सोचना है और जैसे ही आप सोचेंगे, आपका काम हो जाएगा.
चिप का नाम
न्यूरालिंक ने इस ब्रेन चिप का नाम ‘लिंक’ रखा है, क्योंकि इस चिप के जरिए इंसान का दिमाग, कंप्यूटर और मोबाइल फोन से लिंक हो जाएगा. वहीं कंपनी ने अपनी इस तकनीक को नाम दिया है ‘टेलीपैथी’ (Telepathy) यानी बिना किसी फिजिकल एक्टिविटीज के विचारों और भावनाओँ का आदान-प्रदान संभव हो पाएगा.
बंदरों पर किया गया था टेस्ट
सबसे पहले इस चिप का परीक्षण बंदरों में किया गया था. साल 2021 में न्यूरालिंक ने एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें एक बंदर को ब्रेन चिप लगाई गई थी. उस बंदर को Joystick का इस्तेमाल किए बिना वीडियो गेम खेलते हुए दिखाया गया था. Telepathy के जरिए बंदर ने टाइपिंग भी की थी.
वैज्ञानिकों ने जताई चिंता
Elon Musk के न्यूरालिंक की ब्रेन चिप मानव इतिहास के सबसे क्रांतिकारी आविष्कारों में से एक मालूम पड़ती है, लेकिन वैज्ञानिकों का एक वर्ग इसको लेकर चिंतित भी है. अमेरिका में Physicians Committee for Responsible Medicine नामक संस्था ने दावा किया था कि जिन 23 बंदरों में ब्रेन चिप का परीक्षण किया गया था, उनमें से लगभग 15 बंदरों की मौत हो चुकी है. रिपोर्ट में कहा गया कि चिप को बंदरों की खोपड़ी में छेद करके लगाया गया था जिसके चलते कई बंदरों को ब्रैन हैमरेज हो गया.
लेकिन न्यूरालिंक कंपनी को पिछले साल इंसान के दिमाग में इस चिप को Transplant करने की Human Clinical Trial की मंजूरी मिल गई थी. जिसको लेकर एलन मस्क ने दावा किया है कि इंसानी दिमाग में ब्रेन चिप लगाने में कामयाबी हासिल हो चुकी है. हालांकि इंसानी दिमाग में ये चिप ठीक से काम करती है या नहीं, इसके रिजल्ट आने अभी बाकी हैं.
कैसे मुमकिन होगा ये सब?
– सबसे पहले तो ये जानिए कि जो चिप दिमाग में लगाई जाएगी, वो ब्लूटूथ के जरिए कंप्यूटर, मोबाइल फोन या अन्य किसी डिवाइस से जुड़ी होगी.
-जब किसी लकवाग्रस्त इंसान के दिमाग में इस चिप को फिट कर दिया जाएगा तो ये चिप उस इंसान के दिमाग में पैदा होने वाली तरंगों को पढ़ पाएगी.
– इसके बाद ये चिप दिमागी तरंगों को कंप्यूटर की भाषा, जिसे बाइनरी कोड भी कहते हैं, उसमें बदल देगी.
-फिर इस कोड को ये चिप ब्लूटूथ से कनेक्टेड डिवाइसेज को भेजेगी और फिर वो कंप्यूटर, मोबाइल फोन या डिवाइस उस कमांड को फॉलो करेगी.
-आसान भाषा में कहें तो इस चिप को इंसानी दिमाग से मिलने वाले सिग्नल को डिकोड करने और ब्लूटूथ की हेल्प से डिवाइस को कमांड देने के लिए बनाया गया है.
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