मोदी सरकार के स्वर्णिम नौ साल, देश-दुनिया में भारत को मिला सम्मान

Upendrra Rai
Chairman & Managing Director, Editor-in-Chief, The Printlines | Bharat Express News Network

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के नौ साल पूरे हो चुके हैं. सरकार के दसवें साल की शुरुआत दो शानदार उपलब्धियों के साथ हुई है. भारत ने वैश्विक स्तर पर चल रहे संकटों के बीच 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद में जबरदस्त वृद्धि की है. इसके अलावा मई महीने में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 1.57 लाख करोड़ का जीएसटी संग्रह हुआ है. वहीं दिग्गज क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि अगले पांच साल तक अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत का वर्चस्व बना रहेगा. कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन विवाद के कारण वैश्विक जंग की आशंकाओं और नोटबंदी एवं जीएसटी जैसे सुधारों में शुरुआती कमियों के बावजूद अर्थव्यवस्था का हाल दमदार रहा है. केंद्र में नरेंद्र मोदी की 2014 में सरकार बनने के बाद से ही अर्थव्यवस्था में लगातार वृद्धि होती रही है. 9 साल पहले 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश लंबी छलांग लगाते हुए आज पांचवें पायदान पर आकर खड़ा हो गया है.

इन नौ सालों में भारत ने ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों को पीछे छोड़ा है. ये सिर्फ अर्थव्यवस्था की बात नहीं है, अगर हम प्रधानमंत्री मोदी के पिछले नौ सालों के कार्यकाल को देखें तो आर्थिक मोर्चे पर सफल होने के अलावा सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सुधार, मजबूत विदेश नीति, उपलब्धियों, परिवर्तन, भविष्य के लक्ष्यों और चुनौतियों से निपटने के प्रयासों में एक निरंतरता का अनुभव कर सकते हैं. नौ साल पूरे होने के मौके पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘पिछले नौ सालों में लिया गया हर फैसला देश की जनता के जीवन को बेहतर बनाने के लिए था. साथ ही यह प्रण भी है कि विकसित भारत के निर्माण के लिए उनकी ओर से लक्ष्य साधना में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी.

यकीनन पिछले नौ वर्षों में देश की आम जनता की आकांक्षाओं के अनुसार राष्ट्रीय हित का दायरा कहीं ज्यादा व्यापक हुआ है। सबसे पहले तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने इन नौ वर्षों में ‘गरीब कल्याण’ के साथ ही 80 करोड़ गरीब परिवारों को सर्वोच्च प्राथमिकता के तौर पर रखते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी और महत्वपूर्ण सामाजिक जिम्मेदारी का पालन किया है. इसके लिए मोदी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में कुल 18.10 लाख करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी जारी की है जो 2004-2014 के यूपीए शासन के 10 वर्षों में जारी की गई 5.16 लाख करोड़ की सब्सिडी से तीन गुना से भी ज्यादा है. इससे ये जाहिर होता है कि मोदी सरकार देश के गरीब वर्ग के लिए पूरी तरह से उन्हें ऊपर उठाने के लिए समर्पित रही है.

कल्याणकारी योजनाएं दरअसल मोदी सरकार की सफलता और लोकप्रियता का एक प्रमुख आधार रही हैं. जिससे समाज का हर वंचित वर्ग लाभान्वित हुआ है. उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना, आवास योजना, शौचालय योजना, किसानों को आर्थिक लाभ वाली योजनाओं ने असंख्य परिवारों का जीवन स्तर बदल दिया है. करोड़ों लोगों के बैंकिंग प्रणाली से जुड़ जाने के कारण अब उन तक इन योजनाओं के माध्यम से सरकार की आर्थिक मदद सीधी और पूरी पहुंच रही है. जन-धन, आधार-मोबाइल की त्रिशक्ति देश के गरीबों को बैंक सिस्टम से जोड़ने में सरकार की बड़ी उपलब्धि रही है. आज जन-धन योजना के तहत करीब 50 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोले गए हैं. इसके अलावा मुद्रा ऋण योजना और सब्सिडी के तौर पर मिलने वाले लाभ का पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में जाता है. इससे हमारे आसपास का एक बड़ा तबका न केवल समाज की मुख्यधारा में शामिल हुआ है, बल्कि बेहतर भविष्य को लेकर आशान्वित भी है. सरकार की ये बहुत बड़ी सफलता है, जिसे किसी पैमाने पर मापा नहीं जा सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक इसी तरह से स्वच्छता को लेकर एक महा अभियान सत्ता संभालने के बाद शुरू किया था. देश की सत्ता संभालने के पहले दिन से ही प्रधानमंत्री को स्वच्छता, स्वच्छ पानी और खुले में शौच से मुक्ति जोर दे रहे थे. आज उसी सोच और विचार का नतीजा है कि नौ साल बाद आज देश के तीन लाख से ज्यादा गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है और 4.5 लाख से ज्यादा गांव तरल या ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा से जुड़ चुके हैं. इसी तरह पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता में सुधार के लिए जल शक्ति के तहत शुरू हुई योजनाएं केवल साफ-सफाई ही नहीं, ऐसे कई गरीब परिवारों का आर्थिक कवच भी बनी हैं, जो अब तक बीमारियों के इलाज पर अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च कर आर्थिक दलदल के कुचक्र में फंसे रहने के लिए मजबूर थे. साथ ही आवास सुविधा के काम में तेजी लाकर मोदी सरकार ने बामुश्किल जीवनयापन कर रहे गरीबों को बेहतर जीवन की मजबूत बुनियाद देने में जबरदस्त तेजी दिखाई है. एलआईजी और ईडब्ल्यूएस के लिए 2004 और 2014 के बीच केवल 8.04 लाख घरों का निर्माण किया गया था लेकिन 2015 से मई 2023 तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 74 लाख से अधिक घरों का निर्माण किया जा चुका है. जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

मोदी सरकार ने पिछले नौ सालो में जनकल्याणा, गरीब कल्याण के साथ ही राष्ट्र निर्माण का अमृतकाल कहा जा सकता है. क्योंकि इस दौर में देश ने अपने विकास के बुनियादी ढांचे में उतार-चढ़ाव के बदलावों को होते देखा है. राष्ट्रीय राजमार्गों, एक्सप्रेस-वे, भारत में बनी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत से लेकर रेलवे नेटवर्क का बड़े पैमाने पर विस्तार शामिल है. इसके साथ ही उड़ान योजना जैसे फैसलों ने एक दशक से भी कम समय में देश का कायाकल्प कर दिया है. भारत के नवनिर्माण का ये अभियान आईआईटी, आईआईएम और युवाओं के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए संस्थानों के निर्माण का भी साक्षी बना है. देश में विश्वविद्यालयों की संख्या में 2014 से 2023 तक व्यापाक तौर पर वृद्धि हुई है. जहां ये संख्या 723 से बढ़कर 1113 तक पहुंच गई है. पिछले 9 वर्षों में पांच हजार से ज्यादा कॉलेज बनाए गए हैं जिससे देश भर में शिक्षा तक छात्रों की पहुंच बढ़ी है.

मोदी सरकार के इन नौ सालों के कार्यकाल में यूं तो कई उपलब्धियां शामिल हैं, लेकिन सबसे बड़ी सफलता ये है कि जिस कश्मीर के मुद्दे को लेकर खींचतान मची हुई थी. उसे एक झटके में खत्म कर दिया. कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खात्मा, त्वरित गति से पूर्णता की ओर बढ़ रहा राम मंदिर का निर्माण, वाराणसी का काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण हो या फिर तीन तलाक पर कानून बनाना. साथ ही मजबूत विदेश नीति से देश को वैश्विक पटल पर मिल रहे सम्मान, रक्षा क्षेत्र में बढ़ती आत्मनिर्भरता, स्वदेशीकरण, कोरोना महामारी के दौरान देशों के लिए देवदूत बनने वाली भूमिका की सराहना सिर्फ देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे भारत का मान विदेशों में पीएम मोदी को मिल रहे सम्मान में भी दिखाई देता है. साल 2016 में सऊदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान अब्दुल अजीज अल सौद सम्मान से शुरू हुआ सिलसिला अफगानिस्तान, फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात, रूस, मालदीव, बहरीन, अमेरिका, भूटान से होते हुए फिजी और पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों तक पहुंच चुका है. हाल ही में एक हफ्ते से भी कम समय के कालखंड में हमने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को प्रधानमंत्री के ऑटोग्राफ और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को रूस से युद्ध समाप्त करवाने के लिए प्रधानमंत्री से दखल देने की अपील, पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे को प्रधानमंत्री मोदी के पैर छूना और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज को प्रधानमंत्री मोदी को बॉस कहकर संबोधित करता बदलते भारत की तस्वीरों की झलक है. आज समय बदल चुका है. पहले दुनिया के देश बोलते थे. ऐजेंडा तय करते थे और हम सुनते थे. उनके बनाए एजेंडे पर चलते थे, अब भारत बोलता है और दुनिया सुनती है. भारत के बताए रास्तों पर आगे बढ़ने की प्रेरणा लेता है विश्व. जिसे हम योग दिवस के रूप में देख सकते हैं.

पीएम मोदी का नौ साल का यह कार्यकाल सिर्फ सफलता की बुलंदियों की कहानी नहीं है, इसमें कुछ जमीनी चुनौतियां और उनसे जुड़े कड़वे सवालों की हकीकत भी है. पीए मोदी के कार्यकाल में बेरोजागारी का मुद्दा सबसे अहम रहा है. जिसे तमाम कोशिशों के बाद भी सरकार सुलझा नहीं पा रही है. 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता संभाली थी तब बेरोजगारी की दर 5.4 प्रतिशत थी. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के डेटा से पता चलता है कि एक वक्त यह 8.72 फीसद के उच्च स्तर पर भी पहुंच गया था. हालांकि नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि जनवरी-मार्च 2023 के दौरान शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की बेरोजगारी दर घटने के बाद भी अभी 6.8 प्रतिशत है.

इसके अलावा बीजेपी का एक वादा कई दशकों से बीजेपी के घोषणापजत्र का हिस्सा बनता चला आ है, वो है समान नागरिक संहिता, जिसे लागू करने में अबतक मोदी सरकार विफल रही है. बीजेपी हमेशा ये कहती रही है कि समान नागरिक संहिता के बिना देश में लैंगिक समानता कायम करने की बात बेमानी है और इसी के जरिए हर वर्ग के लोगों के साथ महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हो सकती है. 2014 में केन्द्र में सत्ता हासिल करने के बाद मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा चुकी है और संवैधानिक प्रक्रिया को अपनाते हुए अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के वादे को भी पूरा कर रही है. अब उसके तीन बड़े वादों में से सिर्फ समान नागरिक संहिता का मुद्दा ही बचा है जिसे लागू करने का वह रास्ता तलाश रही है.

राज्यों में जब विधानसभा चुनाव नजदीक आते हैं तो इस मुद्दे को लेकर सरगर्मी बढ़ने लगती है. जिसे 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव में बीजेपी ने इसे अपने प्रचार और वोट मांगने के एजेंडे में शामिल किया था. इस साल भी 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने थे जिनमें से चार राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और कर्नाटक में चुनाव हो चुके हैं. कर्नाटक में समान नागरिक संहिता को बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया था. अब मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव होने हैं. ऐसे में यूसीसी पर राष्ट्रीय स्तर पर कोई फैसला लेने से पहले बीजेपी राज्यों के माध्यम से देश के लोगों और दूसरे राजनीतिक दलों के मन की बात की थाह लेने की कोशिश में जुटी हुई है. जानना चाह रही है। मोदी सरकार के नौ साल की उपलब्धियां और सफल कार्यकाल के बाद अब सामने चुनावी साल है. जिसके समर में मोदी सरकार के कामकाज का भी आंकलन कर जनता अपना फैसला सुनाएगी. मोदी सरकार के लिए ये परीक्षा किसी चुनौती से कम नहीं होगी.

Latest News

गुयाना की संसद में बोले PM मोदी- ‘हमारा रिश्ता आत्मीयता से भरा हुआ…’

PM Modi Guyana Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को गुयाना में संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया. अपने संबोधन...

More Articles Like This

Exit mobile version