साल 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती आने के साथ ही देश का तेजी से विकास हुआ. जबकि विपक्ष लगातार इस बात का आरोप लगाता रहा है कि देश की मोदी सरकार ने अपने उद्योगपति मित्रों का विकास किया है. लेकिन ये जानने की जरूरत है कि, पीएम मोदी के पिछले नौ साल के कार्यकाल में सभी क्षेत्रों में जबरदस्त विकास हुआ है. जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है, छोटे उद्योगों से लेकर मंझोले और बड़े उद्योगों के लिए मोदी सरकार ने ऐसी योजनाएं बनाई जिसके जरिए इन उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद मिली. मोदी सरकार ने उद्योग जगत के अनुकूल नीतियां बनाने के अलावा इन उद्योगों को प्रोत्साहित करने काम किया. जिससे भारत ग्लोबल इकॉनमी का ‘पावर हाउस’ बन रहा है.
दसवें साल में मोदी सरकार की दो शानदार उपलब्धियां
सरकार के दसवें साल की शुरुआत दो शानदार उपलब्धियों के साथ हुई है. भारत ने वैश्विक स्तर पर चल रहे संकटों के बीच 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद में जबरदस्त वृद्धि की है. इसके अलावा मई महीने में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 1.57 लाख करोड़ का जीएसटी संग्रह हुआ है. वहीं दिग्गज क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि अगले पांच साल तक अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत का वर्चस्व बना रहेगा. कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन विवाद के कारण वैश्विक जंग की आशंकाओं और नोटबंदी एवं जीएसटी जैसे सुधारों में शुरुआती कमियों के बावजूद अर्थव्यवस्था का हाल दमदार रहा है. केंद्र में नरेंद्र मोदी की 2014 में सरकार बनने के बाद से ही अर्थव्यवस्था में लगातार वृद्धि होती रही है. 9 साल पहले 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश लंबी छलांग लगाते हुए आज पांचवें पायदान पर आकर खड़ा हो गया है. इन नौ सालों में भारत ने ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों को पीछे छोड़ा है.
मोदी सरकार के आर्थिक नीतियों का फोकस बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित रहा है. सरकार की महात्वाकांक्षी योजना ‘भारत माला’ और ‘सागरमाला’ परियोजनाओं की पहल ने कनेक्टीविटी में व्यापक सुधार किया है. इसके अलावा व्यापारिक अवसरों को भी मजबूत करने के साथ ही उद्योगों को नए बाजारों तक पहुंच बनाने में मदद की है.
प्रतिदिन 37 किलोमीटर सड़क का हुआ निर्माण
देश इस बात का गवाह बना है कि पिछले नौ वर्षों में सभी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास तेजी के साथ हुआ है. जिसमें 53 हजार किलोमीटर हाईवे का निर्माण, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गांवों को मुख्य मार्गों से जोड़ते हुए ग्रामीण सड़कों की कनेक्टिविटी को 99 फीसदी तक कवर किया जा चुका है. इसके अलावा हाईवे निर्माण में भी मोदी सरकार ने पिछले सारे रिकॉर्डों को तोड़ते हुए प्रतिदिन 37 किलोमीटर सड़कें बनाई हैं. इसके अलावा रेलवे विभाग ने लाइनों का दोहरीकरण, विद्युतीकरण और मेक इन इंडिया के तहत भारत की पहली स्वदेशी सेमी हाई स्पीड ट्रेन का निर्माण कर बड़ी सफलता हासिल की है, जिनका संचालन भी किया जा रहा है. इसके अलावा अगले तीन सालों में 400 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का निर्माण होगा. साथ ही पिछले नौ सालों में देश के 20 शहरों में मेट्रो रेल परियोजना का विस्तार किया गया है. वहीं उड़ान योजना के तहत आम आदमी भी हवाई यात्रा करने में सक्षम हुआ है. पूरे देश में 74 नए एयरपोर्ट का निर्माण कराया गया है. साथ ही 111 जलमार्गों को नेशनल वाटर-वे घोषित किया गया है. इन नौ सालों में मोदी सरकार ने कई बड़े निर्माण करवाए हैं. जिनमें विश्व का सबसे ऊंचा चेनाब पुल, विश्व की सबसे लंबी अटल हाईवे सुरंग शामिल हैं. इसके अलावा कई ऐसी परियोजनाएं हैं जो चल रही हैं, जिसमें सरयू नाहर सिंचाई नहर, पूर्वी और पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे. 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) लॉन्च किया है.
भारत को एक निवेश का हब बनाने के लिए, मोदी सरकार ने व्यापार करने की शर्तों में कई सुधार लागू किए हैं. उदाहरण के तौर पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी (आईबीसी) जैसी पहलों ने कराधान और दिवालियापन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है. साथ ही अफसरशाही को कम करने के साथ ही पारदर्शिता लाने का काम किया है. ये सुधार विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू और विदेशी दोनों तरह के निवेश को आकर्षित करने में सहायक रहे हैं. मोदी प्रशासन ने ब्रिटिश काल से चले आ रहे लगभग 2,000 पुराने कानूनों को निरस्त करने का काम किया है. जिसके कारण उद्योगपति अपेक्षाकृत मामूली अपराधों के लिए जेल गए थे. विश्व बैंक की व्यापार करने में आसानी के लिए देशों की वार्षिक रैंकिंग में भारत की स्थिति पांच वर्षों में 142 से 63 तक आ गई है.
पीएम मोदी का एमएसएमई पर काफी जोर रहा है. जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित हुआ है. विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत की. क्रेडिट तक पहुंच में वृद्धि, सरलीकृत विनियमों और कौशल विकास पहलों के माध्यम से, एमएसएमई फले-फूले हैं. एमएसएमई रोजगार सृजन, नवाचार और आर्थिक विविधीकरण में योगदान दे रहे हैं.
एमएसएमई क्षेत्र ने छह करोड़ से अधिक उद्यमों के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था एक अत्यधिक जीवंत और गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरी है, एमएसएमई उद्यमिता को बढ़ावा देने और तुलनात्मक रूप से कम पूंजी लागत पर स्वरोजगार के अवसर पैदा कर रहा है, केवल कृषि के बाद एमएसएमई मंत्रालय ऋण सहायता, तकनीकी सहायता, बुनियादी ढांचे के विकास, कौशल विकास और प्रशिक्षण, प्रतिस्पर्धात्मकता और बाजार सहायता को बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों को लागू किया है. जिसमें राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (NSIC), राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान (ni-msme) और महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगीकरण संस्थान (MGIRI)शामिल हैं. जिससे उद्योग क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिला है.
एमएसएमई मंत्रालय के पास एमएसएमई को समर्थन देने और संभालने के लिए देश भर में फैली हुई क्षेत्रीय संरचनाओं का एक विशाल नेटवर्क है, जिसमें एमएसएमई के विकास और सुविधा कार्यालय (एमएसएमई-डीएफओ), शाखा एमएसएमई-डीएफओ, एमएसएमई परीक्षण केंद्र, एमएसएमई-परीक्षण स्टेशन शामिल हैं. प्रौद्योगिकी केंद्र (टूल रूम और तकनीकी संस्थान) और केवीआईसी, कॉयर बोर्ड और एनएसआईसी के क्षेत्रीय कार्यालय हैं.
डिजिटल क्रांति ने पैदा किए व्यापार के अवसर
पीएम मोदी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया की पहल ने देश को डिजिटल का लैंडस्केप बनाया है. जिसमें आधार डिजिटल आइडेंटिफिकेशन यूपीआई और जनधन योजना ने लोगों की बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच को बेहतर बनाया है. साथ ही डिजिटल लेनदेन को अपनाने में तेजी आई. इस डिजिटल क्रांति ने ई-कॉमर्स, फिनटेक और डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देने, व्यापार के नए अवसर पैदा करने और पहले से सुस्त पड़े बाजारों तक पहुंचने में मदद की है.
इसके अलावा मोदी सरकार ने विभिन्न कार्यक्रमों और नीतियों के माध्यम से उद्यमशीलता और नवाचार को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है. नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने अनुसंधान और विकास में निवेश के महत्व को पहचाना है. नवाचारों के लिए बजट की व्यवस्था व्यापक स्तर पर की है. तमाम ऐसे सेक्टर हैं जैसे- स्वास्थ्य देखभाल, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने के साथ वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए वित्तीय सहायता को बढ़ाया है. अनुसंधान संस्थानों की स्थापना और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देने से शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग में मदद मिली है, जिससे स्टार्टअप और टेक्वनालॉजी की भी प्रगति हुई है.
कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत कैंपेन लॉन्च किया. इस कैंपेन का उद्देश्य एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है. जिसने घरेलू उत्पादन, नवाचार और स्वदेशी तकनीक के विकास में अहम भूमिका निभाई और उसे प्रोत्साहित किया. सरकार ने एक ऐसा वातावरण तैयार किया, जिसने नवाचारों को प्रोत्साहित करने के साथ ही आयात पर निर्भरता को कम किया और घरेलू उद्योगों के विकास में मदद की.
मोदी सरकार ने देश के विकास में कृषि को काफी अहम बताया था. जिसके लिए उन्होंने कृषि और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की शुरुआत की. जिसके तहत किसानों को साल में छह हजार रुपये दिए जाते हैं. इसके अलावा नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (NRLM) की शुरुआत की. जिसके जरिए किसानों को डायरेक्ट वित्तीय मदद देकर आजीविका के लिए अवसर उपलब्ध कराने का काम करती है. सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास किए हैं. किसानों की फसलों को मंडी तक पहुंचाने के लिए गांव से सड़क की कनेक्टिविटी, ट्रांसपोर्टेशन, सिंचाई की सुविधा, बाजारों को गांव से जोड़ने के साथ ही गरीबी को कम करने के अलावा ग्रामीणों की आय में सुधार शामिल है.
जनधन योजना के तहत खोले गए 50 करोड़ बैंक खाते
गरीबों को बेहतर जीवन देने के लिए मोदी सरकार ने पिछले नौ सालों में कई बड़ी योजनाओं को लागू किया. जिसमें उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना, आवास योजना, शौचालय योजना के अलावा कई ऐसी कल्याण परक योजनाएं शामिल हैं, जिन्होंने किसानों और गरीबों के जीवन में खुशियां लाने का काम किया है. जनधन योजना के तहत लोगों को बैंक सिस्टम से जोड़ा गया. जिससे अब सरकार की तमाम योजनाओं के तहत मिलने वाली आर्थिक मदद सीधे लाभार्थी के खाते में जाती है. देश में जनधन के तहत करीब 50 करोड़ बैंक खाते खोले गए. इसके अलावा मुद्रा लोन योजना में मिलने वाली सब्सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर होती है. इन योजनाओं के परिणामस्वरूप, हमारे समाज के एक बड़े वर्ग को मुख्य धारा में लाने के साथ ही हाशिये पर जा चुके लोगों का भी उत्थान कर उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने का काम किया है. जिसे मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.
इन सब के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी की विपक्ष अक्सर आलोचना करता है. विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार ने अडानी और अंबानी जैसे दिग्गज उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया है. उनके लिए व्यापार की नीतियों में बदलाव किया है, लेकिन पीएम मोदी के नौ सालों के कार्यकाल को गौर से देखने पर पता चलता है कि सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास को ध्यान में रखकर नीतियों को लागू किया है. पीएम मोदी ने छोटे और बड़े सभी प्रकार के उद्योगों के लिए एक समान अवसर दिए हैं.