Smart City Project: केंद्र सरकार ने देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया है. इन शहरों में पटना, फरीदाबाद, रांची, अमरावती, गुवाहाटी, भागलपुर, नई दिल्ली, अहमदाबाद व गांधी नगर आदि का नाम शामिल हैं. स्मार्ट सिटी में रहने वाले नागरिक कहीं ना कहीं अन्य शहरों के मुकाबले बेहतर आधारभूत सुविधाएं पाते हैं.
अब लोगों के जहन में ये सवाल आता है कि वो क्या पैमाने है जिनके आधार पर स्मार्ट सिटी का चयन किया जाता है. साथ ही स्मार्ट सिटी का मतलब क्या होता है. आज आपको इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि स्मार्ट सिटी क्या होती है और इन्हें कैसे चुना जाता है.
दरअसल, स्मार्ट सिटी का पैमाना हर देश के लिए अलग होता है. किसी भी देश के नागरिकों के लिए स्मार्ट सिटी का पैमाना वहां की जनसंख्या, रिसोर्स और मूलभूत सुविधाओं को लेकर होता है. हालांकि स्मार्ट सिटी की परिभाषा एक ही देश के अलग राज्यों के लिए अलग हो सकती है. भारत के संदर्भ में बात करें तो कुछ ऐसे बिंदु हैं, जो स्मार्ट सिटी के लिए अनिवार्य होते हैं.
अपने देश में इसका पैमाना बेहतर शहरी यातायात, पानी की पर्याप्त आपूर्ति, बिजली की पर्याप्त आपूर्ति, डिजिटलाइजेशन, गुड गवर्नेंस, ई-गवर्नेंस, सतत पर्यावरण इत्यादि है.
कैसे किया जाता है स्मार्ट सिटी का चुनाव
स्मार्ट सिटी को लेकर लोगों के जहन में ये सवाल आता है कि आखिर देश की सरकार स्मार्ट सिटी का चयन कैसे करती है. आपको बता दें कि सबसे पहले राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को संभावित स्मार्ट सिटी के चयन हेतु वहां की सरकार को पत्र भेजा जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य इस बात की जानकारी देना होता है कि किसी भी राज्य/केंद्रशासित राज्य में कितनी स्मार्ट सिटी है. अब राज्यों से मिले जवाब के आधार पर 100 समार्ट सिटी का चयन किया जाता है और उनको स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जाता है.
शहरों के चयन के बाद सारे शहर एक कंसल्टेंट की मदद से अपने प्रस्ताव तैयार करते हैं. हालांकि इनके साथ एक बाहरी एजेंसी भी होती है. अब दूसरे चरण में तैयार किया गया डाटा शहरी विकास मंत्रालाय को भेजा जाता है, जिसकी समीक्षा एक्सपर्ट पैनल करती है. चुने गए शहरों को स्मार्ट घोषित किया जाता है, जिसके बाद वो अपने प्रस्ताव के अनुरुप काम शुरू कर देते हैं. बाकी के शहरों के लिए अगले चरण की तैयारी के लिए कहा जाता है.
कहां से आता है स्मार्ट सिटी बनाने का पैसा
उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी मिशन एक केंद्र द्वारा प्रायोजित स्कीम है. केंद्र सरकार ने विगत 5 सालों में इस स्कीम के लिए 48,000 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है. केंद्र सरकार की ओर से हर शहर को प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये दिए दिए जाएंगे. वहीं, इस स्कीम में इतनी ही रकम राज्य सरकार भी शहर के विकास के लिए लगाएगी. इस तरीके से देश में कुल 1 लाख करोड़ रुपये की मदद से स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
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