Chhath Puja 2024: सूर्य उपासना का महापर्व डाला छठ आज (गुरुवार) को मनाया जा रहा है. शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आज शाम को अस्ताचल भगवान सूर्य को प्रथम अर्घ्य दिया जाएगा. व्रती महिलाएं समूहों में छठ मैया के गीत गाते हुए गंगा घाटों, पोखरी-तालाबों और नहरों पर पर पहुंचेंगी. पूजा के लिए बनाई गई वेदी पर पूजन-अर्चन करने के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी. गंगा घाट ओर पोखरी-तलाब असीम आस्था का गवाह बनेंगे.
दोपहर बाद शुरु होगा घाटों पर निकलने का क्रम
दोपहर एक बजे के बाद से व्रती महिलाओं और उनके परिवार के अन्य सदस्यों का गंगा घाटों के लिए निकलने का क्रम शुरु हो जाएगा. चार बजते-बजते सभी गंगा घाट श्रद्धालुओं की भीड़ से पट जाएंगे. नजारा कुछ ऐसा होगा कि जिधर नजर जाएंगी, उधर सिर्फ श्रद्धा के दीवाने दी दिखाई देंगे.
वेदी को गंगा जल से धोकर कलश स्थापित करेंगी व्रती महिलाएं
घाटों पर पहुंचने के बाद व्रती महिलाएं बनाई गई वेदी को गंगा जल से धोने के बाद उस पर कलश की स्थापना करेंगी. इसके बाद वेदी पर छह ईंख लगाने के बाद दीप और अगरबत्ती जलाकर छठ मइया के गीत के साथ पूजन-अर्चन शुरु करेंगी. जैसे-जैसे सूर्य ढलने का क्रम शुरु होगा, वैसे-वैसे प्रसाद से भरे सूप को लेकर महिलाओं के मां गंगा के शरण में जाने का सिलसिला शुरु हो जाएगा.
अस्त होते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य
व्रती महिलाओं को पानी में उतरने के बाद उनके परिवार के लोग भी पानी के बीच जाएंगे. अस्त होते सूर्य को व्रती महिलाओं के पुत्र, पति, बेटी सहित परिवार के अन्य सदस्यों की ओर से छह बार अर्घ्य दिया जाएगा. अर्घ्य का कार्य संपन्न होने के बाद व्रती महिलाएं हाथों में कलश लेकर छठ माता का गीत गाते हुए घरों को लौटेंगी.
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पर्व का होगा समापन
रात में आराम करने के बाद दूसरे दिन अर्घ्य देने के लिए व्रती महिलाओं एवं उनके परिवार के सदस्यों द्वारा गंगा घाटों के लिए रात दो बजे के बाद से घरों से निकलने का सिलसिला शुरु हो जाएगा. दूसरे दिन शुक्रवार की भोर में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बााद इस महापर्व का समापन होगा.
प्रसाद बनाने में जुटी हैं व्रती महिलाएं
शाम को घाटों पर जाने से पूर्व सुबह से ही व्रती महिलाएं एवं उनके परिवार के अन्य सदस्य पूजा की तैयारी में जुटे हैं. पूजा वाले कमरे की सफाई के साथ ही धुलाई की गई. इसके बाद मिट्टी एवं ईंट के चूल्हे पर लकड़ी पर पहले व्रती महिलाओं ने अपने हाथों से मुख्य प्रसाद बनाया. इसके बाद बाकी बचे प्रसादों को घर की अन्य महिलाओं द्वारा तैयार किया जा रहा है. दोपहर तक प्रसाद बनाने का कार्य किया जाएगा. इसके बाद श्रद्धालु गंगा घाटों पर जाने की तैयारी शुरु करेंगे.
बरते सावधानियां
0 महिलाएं-युवतियां उचक्कों से सावधान रहे. शरीर पर पड़े आभूषणों का ध्यान रखे.
0 व्रती महिलाएं दीप जलाकर पूजन के दौरान दीप से अपने कपड़ों को दूर रखे.
0 नौका बिहार करने से परहेज करें, अगर कर रहे हैं, तो यह ध्यान रखे कि नाविक क्षमता से अधिक सवारियों को न बैठाएं.
0 कच्चे घाटों पर दलदल मिट्टी के बीच से अर्घ्य देने के दौरान पानी में सावधनी से उतरे.
0 पक्का घाटों पर अर्घ्य देने के दौरान यह ध्यान रखे कि घाट के किनारे गहरे पानी में न उतरे.
0 घाटों पर साथ पहुंचे छोटे बच्चों को आतिशबाजी करने से रोके. ध्यान रखे कि वह पानी में उछल-कूद न करें.
0 भीड़ में अगर कोई संदिग्ध महिला या पुरुष दिखाई देता है तो इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दे.