एक रिपोर्ट के अनुसार, कृषि क्षेत्र में समग्र लाभप्रदता 2024-25 के खरीफ सीजन में अखिल भारतीय स्तर पर थोड़ी अधिक होने की उम्मीद है, जो मुख्य रूप से उच्च उत्पादन और कम इनपुट लागत से प्रेरित है, लेकिन कुछ उपज की गिरती कीमत से इसकी भरपाई हो जाएगी. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड द्वारा बुधवार को जारी किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न क्षेत्रों में किसानों की मुनाफे की स्थिति में अंतर है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया, उत्तर भारत के क्षेत्रों में खेती के मुनाफे में अधिक सुधार की संभावना है, जहां इस साल वर्षा में वृद्धि के कारण धान की फसल की पैदावार में वृद्धि हुई है. दूसरी ओर, दक्षिण भारत और गुजरात में भारी बारिश के कारण बाढ़ आई, जिससे फसलों का काफी नुकसान हुआ और ये क्षेत्र पिछड़े हुए हैं. उत्तर भारत के प्रमुख राज्य जैसे बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में बेहतर उत्पादन की उम्मीद जताई गई है.
उत्पादन में वृद्धि, लेकिन कीमतों में कमी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में खाद्य अनाज और तिलहन-फसलों का उत्पादन क्रमशः 6 प्रतिशत और 7 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो कुल क्षेत्रफल का 84 प्रतिशत से अधिक कवर करते हैं. हालांकि, चीनी और कपास जैसी अन्य प्रमुख फसलों का उत्पादन वर्ष दर वर्ष 3 प्रतिशत और 8 प्रतिशत घटने का अनुमान है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि खाद्यान्न और तेलफसलों की कीमतों में 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे उत्पादन में वृद्धि का पूरा फायदा नहीं मिल पाया है.
खेती की लागत में आई गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक, खरीफ सीजन में खेती की लागत में 1.3 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई है, जिसका कारण महंगाई पर नियंत्रण और उच्च आधार प्रभाव है. इन सभी कारकों के मद्देनजर मोतीलाल ओस्वल ने अनुमान जताया है कि खरीफ सीजन 2024-25 में कृषि क्षेत्र के मुनाफे में एक हल्की वृद्धि हो सकती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पानी के भंडारण के स्तर में वृद्धि और रबी फसलों की बुवाई में 2% की वृद्धि होने से रबी सीजन के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण बना हुआ है.