संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता के अध्यक्ष ने गुरुवार को कहा कि यदि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार पर निर्णय लिया जाता है तो “निश्चित रूप से” भारत इसमें दावेदार होगा. राजदूत तारिक अलबनई ने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा, “इस सुधारित परिषद का लक्ष्य प्रतिनिधित्वपूर्ण होना चाहिए. जाहिर है, भारत आज विश्व मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी है. लेकिन यह (संयुक्त राष्ट्र) 193 देशों का सदस्य है.
यह विचार सभी के लिए और संयुक्त राष्ट्र के पूरे सदस्य के लिए प्रतिनिधित्वपूर्ण है.”पीटीआई के एक सवाल के जवाब में अलबनई ने कहा, “यदि यह निर्णय लिया जाता है कि परिषद के सदस्यों की संख्या 21 से बढ़ाकर 27 की जाएगी, तो निश्चित रूप से भारत इसमें दावेदार होगा और व्यापक सदस्यता के निर्णय के अधीन होगा.”
संयुक्त राष्ट्र में कुवैत के स्थायी प्रतिनिधि अलबनई ने याद दिलाया कि पिछले वर्ष उन्होंने और ऑस्ट्रिया के सह-अध्यक्ष राजदूत अलेक्जेंडर मार्शिक ने भारत का दौरा किया था और वहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार के मुद्दे पर “उच्चतम स्तर पर” बातचीत की थी. वर्तमान 79वें यूएनजीए सत्र के दौरान आईजीएन प्रक्रिया में हुई प्रगति पर अद्यतन जानकारी देते हुए राजदूत ने कहा कि हालांकि सुधार का मार्ग “निस्संदेह जटिल है, फिर भी हम आगे बढ़ने की दिशा में स्थिर और सार्थक कदम उठा रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि 1965 में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में वृद्धि के अलावा, सुरक्षा परिषद का पहला कार्यकाल 80 वर्षों से अधिक समय तक चला है. “सुधारित परिषद जो भी रूप ले, उसे अगली शताब्दी तक टिकने के लिए डिज़ाइन किया जाना चाहिए, जो समावेशिता, पारदर्शिता, दक्षता, प्रभावशीलता, लोकतंत्र और जवाबदेही के सिद्धांतों पर आधारित हो.” विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कितने सदस्य होने चाहिए, इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन जो संख्या बताई जा रही है वह 21 से 27 सदस्य देशों के बीच है.