भारतीय SaaS बाजार 2035 तक $100 बिलियन तक पहुंचने की संभावना: रिपोर्ट

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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SaaSBoomi की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की सॉफ्टवेयर-एज़-अ-सर्विस इंडस्ट्री वर्तमान $20 बिलियन से बढ़कर 2035 तक $100 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है. इस वृद्धि में प्रमुख योगदान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित ऑटोमेशन, लागत प्रभावी सॉफ्टवेयर विकास, छोटे और मध्यम व्यवसायों का बढ़ता डिजिटल अपनाने और सरकार की डिजिटल पहलों का रहेगा. बड़े स्तर पर एंटरप्राइज AI और क्लाउड टेक्नोलॉजी का अपनाना SaaS इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, AI और क्लाउड के कारण बाजार में $35 बिलियन की वृद्धि देखने को मिलेगी.
बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (BFSI), हेल्थकेयर और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां AI-संचालित ऑटोमेशन और क्लाउड-आधारित सॉल्यूशंस में निवेश कर रही हैं, जिससे इन सेक्टर्स में SaaS की मांग बढ़ रही है. डिजिटल-फर्स्ट कंपनियां 2025 में $4.6 बिलियन के मुकाबले 2035 तक $26 बिलियन का सॉफ्टवेयर खर्च करेंगी. इससे भारतीय SaaS कंपनियों को अपने डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का अवसर मिलेगा. SaaSBoomi के सीईओ अविनाश राघवा के अनुसार, भारतीय SaaS कंपनियों की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे भारतीय बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखकर कितनी प्रभावी और वैश्विक स्तर पर स्केलेबल सॉल्यूशंस बना पाती हैं.
अगले दशक में भारतीय कंपनियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर होगा. रिपोर्ट में SMB सेक्टर को एक बड़े ग्रोथ फैक्टर के रूप में चिह्नित किया गया है. SMB के लिए वर्टिकल SaaS समाधान $13 बिलियन का बाजार खोल सकते हैं. भारत की स्टार्टअप इकोसिस्टम अब उद्योग-विशिष्ट समाधान तैयार कर रही है, जो स्थानीय बिजनेस और नियामक आवश्यकताओं को पूरा कर सके. साइबर सिक्योरिटी भी SaaS इंडस्ट्री में तेजी से उभरने वाला क्षेत्र बन रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, यह बाजार वर्तमान $1.6 बिलियन से बढ़कर 2035 तक $10 बिलियन तक पहुंच सकता है.
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ कंपनियां डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम 2023 और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के फिनटेक सुरक्षा मानकों का पालन करने के लिए सुरक्षा समाधानों में अधिक निवेश कर रही हैं. Lattice के सीईओ अमर चौधरी का कहना है कि SaaS इंडस्ट्री का भविष्य उन कंपनियों के हाथों में होगा, जो प्रभावी लागत प्रबंधन के साथ उच्च गुणवत्ता वाले सॉफ़्टवेयर समाधान विकसित कर सकेंगी. निवेशक अब ऐसे स्टार्टअप्स की तलाश में हैं, जो मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ लंबी अवधि में लाभदायक बने रह सकें.
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