पाकिस्तान में PTI के विरोध प्रदर्शन थमने से पहले 4 लोगों की मौत, 50 से अधिक घायल

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Pakistan Protest: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई के विरोध प्रदर्शन को रोक दिया है, लेकिन इससे पहले ही इस प्रदर्शन के दौरान चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं. दरअसल, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के लोगों द्वारा प्रदर्शन के दौरान मंगलवार की आधी रात पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प हो गई, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई. हालांकि इसके लिए पीटीआई ने अधिकारियों की कार्रवाई को जिम्मेदार बताया है. साथही इस कार्रवाई को “फासीवादी सैन्य शासन” के तहत “नरसंहार” करार दिया है.

वहीं, इससे पहले पीटीआई ने दावा किया था कि सुरक्षा कर्मियों के साथ हुईं हिंसक झड़पों में सैंकड़ों लोगों की मौत हुई है. वहीं, सरकार की सख्‍ती के बाद प्रदर्शनकारियों विरोध प्रर्दशन को रोकने का ऐलान किया, जिसके बाद अधिकारियों ने सड़कें फिर से खोलनी शुरू कर दीं और उन स्थानों की सफाई शुरू कर दी है, जहां पीटीआई के तीन दिन के विरोध प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ हुई थी. वहीं, पुलिस का कहना है कि इस दौरान लगभग 450 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है.

खान के निर्देशों पर होगी अगली कार्यवाही

वहीं, पीटीआई ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर साझा की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सरकार की क्रूरता और राजधानी को निहत्थे लोगों के लिए बूचड़खाने में तब्दील करने की सरकार की योजना को देखते हुए, कुछ समय के लिए शांतिपूर्ण विरोध निलंबित करने की घोषणा करते हैं. साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि इस मामले में इमरान खान के निर्देशों के आधार पर अगला कदम उठाया जाएगा.

6 सुरक्षाकर्मियों की भी मौत

बता दें कि इससे पहले मंगलवार की शाम पीटीआई समर्थकों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों से झड़प हुई, जिसके बाद वे रविवार को शुरू हुए इस्लामाबाद मार्च के तहत डी-चौक पर धरना देने में सफल रहे. पुलिस के साथ समर्थकों की झड़प में छह सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए थें.

इमरान खान ने किया था प्रदर्शन का आह्वान

एक साल से जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 13 नवंबर को रविवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए ‘‘अंतिम आह्वान’’ किया था. खान ने कथित तौर पर जनादेश की चोरी, लोगों की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और संविधान के 26वें संशोधन के पारित होने की निंदा करते हुए कहा था कि इसने ‘‘तानाशाही शासन’’ को मजबूत करने का काम किया है.

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