Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में महिलाओं को श्राद्ध-पिंडदान करना चाहिए या नहीं, जानिए क्या है नियम?

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Pitru Paksha 2023: सनातन हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों के तर्पण के लिए श्राद्ध पिंडदान किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस पितृपक्ष के दौरान हमारे पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों से सूक्ष्म रूप से मिलते हैं. इसलिए पितृ पक्ष के महीने में घर के बड़े बेटे पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पिंडदान करते हैं. ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या जिनके घर में अगर बेटे ना हों, तो क्या बहन बेटियां अपने पितरों का श्राद्ध या तर्पण कर सकती हैं. आइए जानते हैं काशी के ज्योतिष मर्मज्ञ श्रीनाथ प्रपन्नाचार्य से…

काशी के ज्योतिष की मानें तो आमतौर पर यह घर के बड़े बेटे यानी पुरुष ही करते हैं, लेकिन अगर किसी के घर में पुत्र नहीं हैं तो ऐसे में घर की बेटियां या महिलाएं भी श्राद्ध पिंडदान कर सकती हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार अगर कोई बेटी सच्चे मन से अपने पिता का श्राद्ध करती है तो बेटे के न होने पर पिता उसे स्वीकार कर आशीर्वाद देते है. वहीं परिवार में पुरुष नहीं हैं तो महिलाएं भी श्राद्ध करने की हकदार होती हैं. हालांकि बेटी या महिलाओं को श्राद्ध पिंडदान करते वक्त कुछ नियमों को फॉलो करना जरुरी होता है. जानिए क्या हैं वो नियम…

माता सीता ने किया था पिंडदान
गौरतलब है कि घर में पुरुष बेटे ना होने पर बेटियां भी श्राद्ध पिंडदान कर सकती हैं. वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ की इच्छा का पालन करते हुए माता सीता ने तब फालगु नदी, केतकी के फूल, गाय और वट वृक्ष को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाकर राजा दशरथ का पिंडदान किया था. ऐसे में पुत्र की अनुपस्थिति में पुत्रवधू को पिंडदान या श्राद्ध का अधिकार प्राप्त है.

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पिंडदान करते वक्त इन बातों का रखें ख्याल
श्राद्ध, पिंडदान जैसे अनुष्‍ठान करते समय महिलाएं इस बात का विशेष ख्याल रखें, कि वे सफेद या पीले रंग के ही कपड़े पहनें. पितृ तर्पण वक्त महिलाएं इस बात का ध्‍यान रखें, कि वे जल में कुश और काले तिल डालकर तर्पण ना करें, क्योंकि कुश और काले तिल से पितरों का तर्पण महिलाओं को करना मना होता है.

ये लोग भी कर सकते हैं पिंडदान
पुत्र ना होने की स्थिति में मृतक के भतीजे, भांजे, चचेरे भाई जैसे परिवार के अन्‍य सदस्‍य भी श्राद्ध-कर्म व पिंडदानि कर सकते हैं. यदि परिवार में कोई भी ना हो तो मृतक का शिष्य, मित्र, रिश्तेदार या परिवार के पुजारी भी श्राद्ध कर्म कर सकते हैं. इस वर्ष पितृपक्ष मास की शुरुआत आज यानी 29 सितंबर से हो गई है जो 14 अक्टूबर तक रहेगा. श्राद्ध पितरों की तिथि के अनुसार किया जाएगा.

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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