सरकारी ई-मार्केटप्लेस की मदद से Startups ने 35,950 करोड़ रुपये के ऑर्डर किए पूरे

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

राष्ट्र के सामाजिक विकास के तहत सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GEM) ने स्टार्टअप्स को 35,950 करोड़ रुपये के ऑर्डर पूरे करने में सक्षम बनाया है. इस बारे में रविवार को आधिकारिक जानकारी दी गई. महिला उद्यमियों की हिस्सेदारी जीईएम पर कुल विक्रेता आधार में 8% है, जिसमें कुल 1,77,786 उद्यम-वेरिफाइड महिला सूक्ष्म और लघु उद्यम जीईएम पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, जिन्होंने कुल 46,615 करोड़ रुपये के ऑर्डर पूरे किए हैं.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, लेटेस्ट आंकड़े बाजार में महत्वपूर्ण एक्टिविटी को दर्शाते हैं, जिसमें 162,985 प्राथमिक खरीदार, 228,754 द्वितीयक खरीदार और 11,006 प्रोडक्ट कैटेगरी और 332 सर्विस कैटेगरी की डायवर्स रेंज के साथ एक मजबूत इकोसिस्टम प्रदर्शित होता है. पिछले वित्त वर्ष में ऑर्डर की मात्रा 62,86,543 तक पहुंच गई, जिसका ऑर्डर मूल्य 4,03,305 करोड़ रुपये था.

अपनी गति को जारी रखते हुए, चालू वित्त वर्ष में पहले ही 4,52,594 करोड़ रुपये के 61,23,691 ऑर्डर दर्ज किए जा चुके हैं. मंत्रालय ने कहा कि कुल ऑर्डर मूल्य का 37.87% माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) को दिया गया है, जो स्थानीय व्यवसायों को सशक्त बनाने और इंक्लूसिव आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में जीईएम की भूमिका को रेखांकित करता है. स्वायत्त’ पोर्टल का कमिटमेंट है कि वह व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ाए और स्टार्टअप, महिला उद्यमियों, माइक्रो और लघु उद्यमों, स्वयं सहायता समूहों (SHG) और युवाओं, विशेष रूप से समाज के पिछड़े वर्गों के लिए वार्षिक सार्वजनिक खरीद के लिए सीधे बाजार संपर्क स्थापित करे.

स्टार्टअप रनवे 2.0 Make in India खरीद को देगा बढ़ावा

‘स्टार्टअप रनवे 2.0’ स्टार्टअप के लिए सरकारी खरीदारों के सामने अपने इनोवेटिव प्रोडक्ट और सर्विस को प्रदर्शित करने और सार्वजनिक खरीद में शामिल होने का एक अवसर है. सरकारी ई-मार्केट प्लेस ने सभी स्टार्टअप के लिए एक डेडिकेटेड मार्केटप्लेस कैटेगरी बनाई है, जिसमें वे अपने प्रोडक्ट और सर्विस को लिस्ट कर सकते हैं. चाहे उनका डीपीआईआईटी-सर्टिफिकेशन कुछ भी हो. यह प्लेटफॉर्म स्टार्टअप को वे सभी मार्केटप्लेस सुविधाएं प्रदान करता है जो नियमित विक्रेताओं को उपलब्ध हैं और इसका उद्देश्य भारत के स्टार्टअप से “मेक इन इंडिया” खरीद को बढ़ावा देना है.

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