Winter & Migraine: सर्दियों में बढ़ सकता है माइग्रेन का खतरा, इन चीजों के सेवन से करें परहेज

Winter & Migraine: सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है. इस दौरान दिन प्रतिदिन गिरता हुआ तापमान लोगों के कई सारी समस्याओं का कारण बनने लगता है, जो सेहत के लिए बेहद ही चुनौती से भरा होता है. ऐसे में ही इंफ्लूएंजा जैसे वायरस के बढ़ने के साथ ही माइग्रेन की समस्या में भी तेजी से विस्तार होने लगता है. जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है माइग्रेन का जोखिम और भी अधिक खतरनाक होता जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि माइग्रेन और ठंड के मौसम का आपस में क्या संबंध है? यदि नहीं, तो चलिए आज हम आपको बताते है.

सर्दियों में माइग्रेन की समस्या

स्वास्थ्य विशेषज्ञ के मुताबिक, जिन लोगों को पहले माइग्रेन की समस्या रही है, उन्हें सर्दियों में इसका अधिक अनुभव हो सकता है. मेयो क्लिनिक की रिपोर्ट के अनुसार, मौसम संबंधी परिवर्तन माइग्रेन ट्रिगर करने वाले हो सकते हैं. इतना ही नहीं, हवा में शुष्की, अत्यधिक ठंड जैसी स्थितियों के वजह से भी माइग्रेन बढ़ने का खतरा हो सकता है. 

धूप की कमी से बढ़ता है जोखिम

सर्दी के दिनों में धूप की कमी भी माइग्रेन के ट्रिगर होने की वजह हो सकती है. धूप की कमी के कारण मस्तिष्क में सेरोटोनिन जैसे रसायनों में असंतुलन हो सकता है. आपको बता दें कि ब्रेन कैमिकल्स का असंतुलन सिरदर्द और माइग्रेन के एपिसोड्स को बढ़ाने वाले माने जाते हैं.

इसके अलावा सूरज की रोशनी में कमी हमारे सर्कैडियन रिदम यानी शरीर की आंतरिक घड़ी को भी बाधित कर देती है, जिसके कारण नींद के पैटर्न में भी असंतुलन पैदा हो जाता है, जिस वजह से नींद की कमी होती है और इसे भी माइग्रेन को ट्रिगर करने वाला माना जाता है.

माइग्रेन को ट्रिगर करने वाली चीजों से करें परहेज

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो हमारे लाइफस्टाइल की कई गड़बड़ आदतों के वजह से भी इस प्रकार के सिरदर्द की समस्या अधिक हो सकती है. सर्दियों के मौसम में शराब का सेवन, कैफीन का अधिक सेवन, तेज या चमकती रोशनी, तेज गंध (सुगंधित अगरबत्तिया जैसी),और कुछ खाद्य पदार्थ भी माइग्रेन आवृत्ति को बढ़ा सकते है.

कैसे करें माइग्रेन से बचाव?

विशेषज्ञों में मुताबिक, ठंड के प्रति संवेदनशील लोगों को माइग्रेन होने की संभावना अधिक होती है. ऐसे में सर्दियों में सिरदर्द, खासतौर पर माइग्रेन से बचाव करते रहना चाहिए. इसके लिए आवश्यक है कि आप ठंड से बचाव करें. साथ ही अपने दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करें, इससे आपको फायदा होगा. बता दें कि व्यायाम करने से सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है जो इसके जोखिमों को कम करता है.

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