First Under Water Metro: किसी भी शहर के यातायात की सुगमता मेट्रो से होती है. मेट्रो के कारण लाखों लोगों का समय प्रतिदिन बचता है. यही कारण है कि देश के हर शहर में मेट्रो का विकास लगतार किया जा रहा है. अभी तक आपने मेट्रो को अंडरग्राउंड देखा होगा.
हांलाकि बुधवार को मेट्रो के इतिहास में नया अध्याय लिखने जा रहा है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कोलकाता में हुगली नदी के नीचे मेट्रो का संचालन शुरू हो रहा है. ये देश की पहली मेट्रो है जो नदी के नीचे चलेगी. पीएम मोदी इस अंडर वाटर मेट्रो का उद्घाटन करेंगे. बता दें कि यह मेट्रो जमीन से करीब 11 मंजिली इमारत इतनी अंदर पानी में है.
11 मंजिल इमारत के नीचे दौड़ेगी मेट्रो
जानकारी दें कि देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो कोलकाता में हुगली नदी के नीचे चलेगी. इसके लिए सुरंग बनाया गया है. सुरंग हुगली नदी के पूर्वी तट पर एस्प्लेनेड और पश्चिमी तट पर हावड़ा मैदान को जोड़ेगी. ये पहला मौका है जब मेट्रो किसी नदी के अंदर दौड़ने जा रही है. सुरंग सतह से लगभग 33 मीटर यानी करीब 11 मंजिली इमारत के बराबर नीचे है. बताया जा रहा है कि हावड़ा से एस्प्लेनेड तक का कुल मार्ग 4.8 किलोमीटर लंबा है. जिसमें आधा किलोमीटर का रास्ता पानी के अंदर बनाया गया है. आधा किलोमीटर लंबी इस पानी के अंदर की सुरंग से यात्री 1 मिनट से भी कम समय में गुजरेंगे.
#WATCH | India's first underwater metro rail service in Kolkata set to be inaugurated by PM Modi on 6th March pic.twitter.com/ib5938Vn8x
— ANI (@ANI) March 5, 2024
टनल बनाने के लिए जर्मनी से लाई गई मशीन
देश में पहली बार अंडरवाटर मेट्रो का निर्माण किया जा रहा था. इस वजह से ऐसी मशीन की जरूरत थी, जो ऊपर से पड़ने वाले पानी के प्रेशर सहन कर ले और निर्माण के दौरान पानी आने से भी रोके. पहले जितने भी टनल देश में बने हैं, उनको सामान्य मशीन से बना दिया जाता था. हालांकि वाटर के अंदर टनल बनाने के लिए स्पेशल मशीन की जरूरत थी.
इसके लिए टनल बोरिंग मशीन यानी टीबीएम चाहिए थी, इसके लिए जर्मनी से अपनी जरूरत के अनुसार मशीन डिजाइन कराई गई थी. इस मशीन की खासियत है कि मिट्टी काटने के साथ-साथ निर्मित हिस्से को सील करती जाती थी. जिस वजह से कटिंग के दौरान पानी आता तब भी तैयार हो चुके टनल के हिस्से में नहीं जाता.
बता दें कि टनल में बाद में कभी भी पानी न आए, इसको देखते हुए पहली बार ज्वाइंट में हाइड्रोफिलिक गास्केट का प्रयोग किया गया है. इससे पानी के संपर्क में आते ही 10 गुना अधिक फैल जाएगा. हुगली नदी के नीचे बनी सुरंग की लंबाई करीब 520 मीटर और ऊंचाई लगभग 6 मीटर है.
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