कितनी खतरनाक होती है आकाशीय बिजली, जानिए बादलों के बीच कैसे होता है इसका निर्माण

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Lightning: आकाशीय बिजली गिरते तो लगभग सभी ने देखा ही होगा. ये बिजली इतनी खतरनाक होती है कि यदि किसी हरे भरे पेड़ पर भी गिर जाए, जो जलाने में इसे देर नहीं लगती है. हाल ही सरकार द्वारा जारी आकड़ों में बताया गया है कि हर साल दुनिया भर में  सिर्फ बिजली गिरने से करीब 24,000 लोगों की मौत हो जाती है.

आप यह जानकर काफी हैरान होंगे कि हर सेकेंड में 40 बार यानी एक दिन में करीब 30 लाख बार बिजली गिरती है. हालांकि ये हर बार जमीन से नहीं टकराती, इनमें से बहुत-सी बादलों से बादलों पर ही गिरती हैं. बता दें कि आकाशीय बिजली X-Ray किरणों से लैस होती है. वहीं, जो बिजलियां आकाश से गिरती है उनकी लंबाई करीब 4 से 5 किलोमीटर जबकि इसका फ्लैश 1 या 2 इंच चौड़ा होता है.

Lightning में कितनी होती है एनर्जी

वहीं, बात करें आकाशीय बिजली में संग्रहि‍त एनर्जी की तो एक आकाशीय बिजली में इतनी ऊर्जा होती है, जिसे यदि स्‍टोर कर रखा जाए तो इससे कम से कम तीन महीने तक 100 वॉट का बल्ब जलया जा सकता है. इस बिजली में एक बार में 1 लाख 60 हजार ब्रेड के टुकड़े सेंके से भी अधिक ऊर्जा होती है.

कितने वोल्ट की होती है आकाशीय बिजली

आसमान से गिरने वाली बिजली में करीब 10 करोड़ volt के साथ 10,000 एम्पियर का करंट होता है. ऐसे में आप आकाश से गिरने वाली बिजली की ताकत और इससे होने वाले विनाश के बारे में आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं.

बादलों के बीच क्यों चमकती है बिजली?

साल 1872 में पहली बार वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रेंकलिन ने बादलों के बीच चमकने वाली बिजली  का सही कारण बताया. उन्होंने बताया कि बादलों में पानी के छोट-छोटे कण होते हैं, जो वायु की रगड़ के चलते आवेशित हो जाते है. ऐसे में कुछ कणों पर पॉजिटिव तो कुछ कणों पर निगेटिव चार्ज हो जाता है और ये एक सेम चार्ज का बादल बना लेते है. वहीं, जब आसमान में ये दोनों चार्ज वाले बादल एक दूसरे से टकराते हैं तो लाखों वोल्ट की बिजली उत्पन्न होती है और कभी-कभी ये बिजली इतनी ज्‍यादा होती है कि ये धरती तक पहुंच जाती है और इसे ही बिजली गिरना कहते है.

पहले चमक, फिर क्यों आती गरजने की आवाज

आपको बता दें कि बिजली की चमक और गड़गड़ाहट एक ही साथ होती है. लेकिन बिजली की चमक पहले दिखाई दे देती है. इसका सबसे बड़ा कारण प्रकाश की गति का ध्‍वनि की गति से तेज होना है. बता दें कि प्रकाश की गति 30,0000 किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है, तो वहीं ध्वनि की गति 332 मीटर प्रति सेकेंड होती है.

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