Political Party Ticket: देश में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक दलों ने प्रचार प्रसार काफी तेज कर दिया है. इस चुनाव के लिए राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर रहे हैं. चुनाव आने के साथ ही अक्सर लोग पार्टियों की टिकट की ही चर्चा करते हैं.
वहीं, कई लोग इसको लेकर काफी कंफ्यूज रहते हैं. क्या आपक भी उन लोगों में से हैं, जो ये सोचते हैं कि आखिर ये पार्टी टिकट होती क्या है और किस तरह से किसी उम्मीदवार को टिकट दिया जाता है. जब भी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशी की घोषणा करते हैं तो उनसे क्या कहते हैं और कैसे पार्टी कैंडिडेट को अपना उम्मीदवार बनाती है. आइए आपको बताते हैं.
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जानिए क्या होता है पार्टी का टिकट?
आपको जानना चाहिए कि किसी भी चुनाव में चाहें वो लोक सभा को हो या फिर विधानसभा का, एक राजनीतिक पार्टी अलग अलग सीट से अपने उम्मीदवार मैदान में उतारती है. जिसका सीधा मतलब होता है कि वो राजनीतिक दल अपना एक प्रतिनिधि चुनता है और उसे अपने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने की अनुमति देता है.
इसका सीधा सा मतलब होता है कि अगर किसी शख्स को किसी राजनीतिक दल द्वारा टिकट देने की बात कही जाती है तो इसका मतलब है कि उन्हें पार्टी का चुनाव चिह्न यूज करने की इजाजत मिल सकती है. वो कैंडिडेट चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ सकता है.
कैसा होता है पार्टी का टिकट?
दरअसल, जब किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा किसी उम्मीदवार को टिकट दिया जाता है, इस दौरान पार्टी की ओर से कैंडिडेट को एक पर्चा दिया जाता है. इस पर्चे में उम्मीदवार को चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाती है. ये राजनीतिक दल के ऑफिशियल लेटर हेड पर लिखा एक नोट होता है. इस नोट में कैंडिडेट का नाम, क्षेत्र का नाम और नंबर की जानकारी दी गई होती है. यानी एक तरीके से ये एनओसी होता है, जिसके अनुसार इस बात की जानकारी चुनाव आयोग को दी जाती है कि पार्टी ने उसके सिंबल से चुनाव लड़ने का आदेश दे दिया है.
नामांकन के दौरान होता है टिकट का प्रयोग
वहीं, जब नामांकन की प्रक्रिया उम्मीदवार द्वारा की जाती है तो पार्टी का ये लेटर भी फॉर्म के साथ देना होता है. इस लेटर के होने से चुनाव आयोग उस उम्मीदवार को कोई चुनाव चिन्ह नहीं अलोट करता है. पार्टी अपनी तरफ से पहले सिंबल अलॉट कर देती है. वहीं, अगर कोई उम्मीदवार निर्दलीय पर्चा दाखिल करता है तो चुनाव आयोग की ओर से उसको एक सिंबल दिया जाता है. कैंडिडेट अपने नामांकन फॉर्म में अपने पसंदीदा सिंबल की डिमांड करता है, लेकिन उस सिंबल की उपलब्धता के आधार पर सिंबल आवंटित होता है.
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