Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, समस्त तीर्थो की यात्रा करने से जो फल मिलता है. द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा से गंगा आदि नदियों के स्नान से जो फल मिलता है, वह सब फल माता-पिता की सेवा से मिल जाता है. जिन मात-पिता की सेवा करी तिन तीर्थ व्रत किया न किया. जिनके द्वारे श्रीगंगा वहें तिन कूप को नीर पिया न पिया।। कोई घर में बैठा मनन करे कोई हरि मंदिर में ध्यान धरे. जिनके हृदय श्रीराम बसे तिन और को नाम लिया ना लिया।। कोई मांगे सुंदर सी काया कोई मांग रहा है हरि से माया। जिन कन्या धन को दान दिया तिन और को दान दिया न दिया।।
जीवन में भटकाव बहुत आते हैं। भजन-पूजा-पाठ में भी भटकाव आते हैं, लेकिन जो सीधे चलते हैं वहीं पार होते हैं. घनी के वैल जैसा घूमते हैं, वे घूमते रह जाते हैं. लेकिन, जो सीधे जाते हैं वे पार हो जाते हैं. साधक को घानी का बैल नहीं शिव का नदिया बनना हैं. ज्यादा लोग घानी के बल ही हैं. रिद्धि-सिद्धि के साथ भगवान श्रीगणेशजी का विवाह हुआ. रिद्धि उसे कहते हैं, जो आप में खराब खर्च करने की प्रवृत्ति नहीं आने देती. बुद्धि उसे कहते हैं, जो आपमें नया कमाने की बुद्धि प्रदान करे. आपका कमाया खराब न हो, आपमें नया कमाने की बुद्धि आ जाय तो शुभ ही शुभ है और लाभ ही लाभ है.
भगवान गणेश मंगल कर्ता है विघ्नहर्ता है. सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना. श्रीदिव्य घनश्याम धाम, श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा. पो. गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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