Union Budget 2024: कल यानी एक फरवरी को वित्त मंत्री संसद में अंतरिम बजट पेश करेंगी. हमारे आसपास से लेकर गूगल सर्च तक हर जगह बजट की चर्चा चल रही है. हर कोई उम्मीद की निगाह से बजट को देख रहा है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि बजट कौन बनाता है? इसे बनाने के लिए सरकार किन किन लोगों से राय लेती है? संविधान में बजट का जिक्र है या नहीं? आइए जानते हैं सब कुछ…
कौन बनाता है बजट?
बता दें कि बजट बनाने की प्रकिया में वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और सरकार के अन्य मंत्रालय शामिल होते हैं. इसमें वित्त मंत्रालय द्वारा हर साल खर्च के आधार पर गाइडलाइन जारी किया जाता है. जिसके बाद मंत्रालयों को अपनी-अपनी मांग को बताना होता है. वित्र मंत्रालय के बजट डिवीजन पर बजट बनाने की जिम्मेदारी होती है. ये डिवीजन नोडल एजेंसी होती है. ये ऐजेंसी सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त निकायों, विभागों और रक्षा बलों को सर्कुलर जारी करती है. जिसमें उनसे आगामी वर्ष के अनुमानों को बताने के लिए कहा जाता है. इन मंत्रालयों और विभागों से मांगें प्राप्त होने के बाद वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के बीच विस्तृत चर्चा की जाती है.
बजट बनाने के लिए सरकार किस-किस से लेती है राय?
बजट बनाने की प्रकिया में सहभागिता बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय नागरिकों, विभागों, मंत्रालयों, अर्थशास्त्रियों, उद्योगों से सुझाव मांगा जाता है. वित्त मंत्रालय बजट के लिए लोगों से आइडिया और सुझाव मांगता है. वित्त मंत्रालय उद्योग से जुड़े संगठनों और पक्षों से भी राय मांगता है.
बजट के लिए किन की मंजूरी होती है जरूरी?
बजट पेश करने की तारीख पर सरकार द्वारा लोकसभा स्पीकर से अनुमति ली जाती है. जिसके बाद लोकसभा सचिवालय के महासचिव राष्ट्रपति से मंजूरी लेते हैं. तब जाकर वित्त मंत्री लोकसभा में बजट पेश करते हैं. बजट पेश करने से ठीक पहले ‘समरी फॉर द कैबिनेट’ के जरिए बजट के प्रस्तावों पर कैबिनेट को संक्षेप में जानकारी दी जाती है. वित्त मंत्री के भाषण के बाद सदन के पटल पर बजट पेश किया जाता है. बता दें कि इस बार बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में तैयार किया गया है.
क्या संविधान में बजट का जिक्र है?
बजट बनाने की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण होती है. इसकी तैयारी लंबे समय से की जाती है. हजारों लोग हिसाब-किताब करके बजट बनाते हैं. ज्ञात हो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, केंद्रीय बजट किसी वर्ष सरकार की अनुमानित आमदनी और खर्च का लेखाजोखा होता है.
क्या होती है हलवा सेरेमनी?
हर साल देश के वित्त मंत्री बजट दस्तावेजों को पढ़कर सदन के सामने पेश करते हैं. बजट हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होता है. भारतीय परंपरा में किसी भी चीज की शुरुआत से पहले मीठा खाने की परंपरा है. इस सोच के साथ कि बजट में सबके लिए मीठा या कहें शुभ रहे, इसी सोच के साथ छपाई प्रक्रिया से पहले हलवा की होती है. इसमें एक बड़ी सी कढ़ाही में हलवा तैयार किया जाता है और देश का वित्त मंत्री अपने मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को इसे बांटता है.
कब से बदली बजट की टाइमिंग?
सन 2000 तक देश का आम बजट शाम 5 बजट पेश होता था. लेकिन 2001 में तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने यह परंपरा खत्म की थी. जिसके बाद से बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाता है.
कब बंद हुआ रेल बजट?
गौरतलब है कि 2017 से पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था. रेल बजट हर साल आम बजट से 2 दिन पहले पेश किया जाता था, लेकिन 2017 में केंद्र सरकार ने बजट की तारीख के साथ रेल बजट अलग से पेश करने की परंपरा भी खत्म कर दी. 92 साल में यह पहली बार था, जब 2017 में अलग से रेल बजट पेश नहीं किया गया. बता दें कि 2017 से हर साल रेल बजट को एक साथ पेश नहीं किया जाता है.
पहला बजट किसने पेश किया?
आजादी के बाद भारत का पहला बजट तात्कालीन वित्त मंत्री आर के षणमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था. इसके बाद जॉन मथाई देश के दूसरे वित्त मंत्री थे, जिन्होंने 1949-50 का बजट पेश किया.