अलास्का की नदियां होने लगी भगवामय, नदियों का बदलता रंग देख वैज्ञानिक हैरान
अलास्का की नदियों और धाराओं का रंग बदल रहा है. पानी का रंग साफ नीले से जंग खाए हुए नारंगी जैसा हो गया है. रंग बदलने की वजह ऐसी है कि वैज्ञानिक भी दंग रह गए.
उनके मुताबिक, ऐसा पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से निकल रहे घातक केमिकल्स की वजह से हो रहा है. यह मिट्टी या पानी में मौजूद वैसी गाद होती है जिसका तापमान दो या उससे ज्यादा साल तक लगातार 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा हो.
नेशनल पार्क सर्विस, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और US जियोलॉजिकल सर्वे के रिसर्चर्स ने कम से कम 75 जगहों का सर्वे किया.
अलास्का की ब्रूक्स रेंज में मौजूद नदियों और धाराओं का पानी ऐसा दिखने लगा है मानो उसे जंग लग गई हो. पिछले 10 सालों में पानी ने नारंगी रंगत ले ली है. अमेरिकी वैज्ञानिकों की रिसर्च के नतीजे Earth & Environment जर्नल में छपे हैं.
रिसर्चर्स ने पाया कि पानी का रंग बदलने की वजह आयर्न, जिंक, कॉपर, निकेल और लेड जैसी धातुएं हैं. इनमें से कुछ धातुएं नदियों और धाराओं के लिए जहरीली हैं.
पर्माफ्रॉस्ट पिघलने की वजह से हजारों साल से जमीन में दबे खनिज पानी में मिल जाते हैं. स्टडी के को-ऑथर ब्रेट पौलिन ने CNN से कहा, 'हम कैलिफोर्निया और अपालाचिया के कुछ हिस्सों में ऐसी रंगत देखने के आदी हैं, जहां माइनिंग का इतिहास रहा है.
यह एक क्लासिक प्रक्रिया है जो महाद्वीपीय यूएस की उन नदियों में होती है जो 1850s के बाद से माइनिंग के चलते 100 सालों से भी ज्यादा समय से प्रभावित होती रही हैं.'
पौलिन के अनुसार, 'लेकिन जब आप बहुत दूर स्थित जंगल में हों और किसी खदान स्रोत से काफी दूर हों, तो यह देखना बहुत चौंकाने वाला होता है.'
स्टडी के मुताबिक, आर्कटिक की मिट्टियों के पर्माफ्रॉस्ट के भीतर प्राकृतिक रूप से आर्गेनिक कार्बन, पोषक तत्व और पारे जैसी धातुएं पाई जाती हैं. अधिक तापमान की वजह से ये खनिज और उनके आसपास के जल स्रोत आपस में मिल गए हैं और पर्माफ्रॉस्ट पिघल गया है.
कई रिसर्च बताती हैं कि आर्कटिक क्षेत्र बाकी दुनिया के मुकाबले चार गुना ज्यादा तेजी से गर्म हो रहा है. पौलिन के मुताबिक, 'हमें लगता है कि यहां मिट्टी बाकी जगहों के मुकाबले तेजी से पिघल रही है. यह जलवायु परिवर्तन का एक अप्रत्याशित नतीजा है.'
रिसर्चर्स ने सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए यह पता लगाना चाहा कि आखिर नदियों का धाराओं का रंग कब बदला. पौलिन ने सीएनएन को बताया, 'अधिकतर जगहों पर ऐसा 2017 और 2018 के बीच हुआ.
संयोग से वे उस समय के सबसे गर्म सालों से मेल खाते थे.' स्टडी में इस बात को लेकर चिंता जाहिर की गई है कि पर्माफ्रॉस्ट के लगातार पिघलने से उन समुदायों पर क्या असर होगा जो पानी और मछली पालन के लिए इन नदियों और धाराओं पर निर्भर हैं.