आमलकी एकादशी पर क्यों करते हैं आंवले का प्रयोग, जानें मुहूर्त और महत्व

Amalaki Ekadashi 2024 Date: सनातन धर्म में हिन्दू पंचांग के तिथि का महत्व है. इस कारण हर माह 2 एकादशी मनाई जाती हैं. पहली कृष्ण और दूसरी शुक्ल पक्ष होती है. 

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी जिसे विजया एकादशी कहा जाता है, जो हाल ही में बीती है. अब फाल्गुन मास की दूसरी एकादशी मनाई जाएगी. 

फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी होती है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते है. आइए बताते हैं कब है आमलकी एकादशी और इसका महत्व.

आमलकी एकादशी को आमला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन रंगभरी एकादशी भी मनाई जाती है. 

हिन्दू पंचांग के अनुसार  फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि कि शुरुआत 20 मार्च को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर होगी. 

इसका समापन अगले दिन यानी 21 मार्च को दोपहर 2 बजकर 22 मिनट पर होगा. इसके चलते एकादशी का व्रत 20 मार्च दिन बुधवार को रखा जाएगा.

आमलकी या आमला एकादशी व्रत का पारण 21 मार्च दिन गुरुवार को होगा. पारण का समय दोपहर 01:41 मिनट से शाम 04:07 मिनट तक है. इस समय आप पारण कर सकते हैं.

शास्त्रों के अनुसार आमलकी एकादशी काफी खास मानी जाती है. इस दिन व्रत रखने से पाप नष्ट होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी के साथ-साथ आंवले के वृक्ष की पूजा करते है. ऐसा माना जाता है कि आंवले के वृक्ष में देवी-देवताओं का वास होता है. 

ये वैसा ही है जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं.

आमलकी एकादशी पर पूजा और प्रसाद में आंवले का प्रयोग जरूर करना चाहिए.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)