हिंदू धर्म में क्यों रखी जाती है सिर पर चोटी? जानिए पौराणिक महत्व
आपने अक्सर देखा होगा कि हिंदू धर्म के पुरुष बाल मुंडवाने के बाद चोटी रखते हैं.
दरअसल, ये एक फैशन नहीं है, बल्कि शास्त्रों में चोटी रखने का विशेष महत्व है.
हिंदू धर्म में चोटी या शिखा रखने के पीछे पौराणिक मान्यता है. इसे रखना न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी फादयेमंद है. आइए जानते हैं...
दरअसल, जिस स्थान पर चोटी या शिखा रखी जाती है, उसे सहस्त्रार चक्र कहा जाता है.
सहस्रार चक्र का आकार गाय के पैर की उंगलियों के समान होता है, इसलिए चोटी भी गाय के खुर के बराबर रखी जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सहस्त्रार चक्र के नीचे मनुष्य की आत्मा का स्थान है. ऐसे में शिखा रखने से सहस्त्रार चक्र जागृत रहता है.
ऐसी मान्यता है कि, जिस जातक की कुंडली में राहु ठीक नहीं है, तो उसे चोटी रखनी चाहिए. ऐसा करने से कुंडली में राहु मजबूत होते हैं.
वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार, सहस्त्रार चक्र के पास मस्तिष्क का केंद्र होता है. ऐसे में वहां चोटी रखने से बुद्धि, मन, शरीर को एकाग्र रखने में मदद मिलती है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)