कितने प्रकार की होती है कांवड़ यात्रा, जानिए इसके कठोर नियम

22 जुलाई से पवित्र माह सावन की शुरुआत होने जा रही है. सावन में भगवान शिव की पूजा आराधना के साथ स्नान-दान का भी विशेष महत्व है.

हर साल सावन महीने में कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है. हिंदू धर्म में इस यात्रा का खास महत्व है.

कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िया दूर-दूर से गंगाजल भरकर शिवालयों में जाते हैं.

आइए आपको बताते हैं कि कांवड़ यात्रा कितने प्रकार होती है.

सामान्य कांवड़ यात्रा में यात्री कहीं भी रुककर आराम कर सकते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का ध्यान रखना होता है कि कांवड़ जमीन से नहीं छूनी चाहिए.

डाक कांवड़ यात्रा सबसे मुश्किल यात्रा मानी जाती है. इसमें यात्री बिना रुके लगातार चलते रहते हैं.

खड़ी कांवड़ यात्रा में यात्री कांवड़ को अपने कंधे पर रखे रहते हैं. उनकी मदद के लिए उनका एक साथी भी साथ चलता रहता है.

दांडी कांवड़ भी बहुत मुश्किल यात्रा होती है. इस दौरान कांवड़िए दंडवत ही कावड़ लेकर चलते हैं.