Science News: खतरे में दुनिया! पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुवों ने हजारों साल तक नहीं मारी पलटी

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र मैग्नेट जैसा है. इसमें 2 ध्रुव उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव होते हैं. दरअसल, धरती का चुंबकीय क्षेत्र बाहरी तरफ पिघली धातुओं के प्रवाह से बनता है. ये स्थिर नहीं रहता है. 

पृथ्वी के घूमने और ठोस आयर्न कोर का इसपर असर पड़ता है. इससे 2 ध्रुवों वाला चुंबकीय क्षेत्र बनता है. ये रोटेशनल एक्सिस से अलाइन होता है. साथ ही दोनों ध्रुव अपनी लोकेशन भी बदलते रहते हें. 

बता दें कि उत्तरी ध्रुव पर हर साल 15 किमी की रफ्तार से शिफ्ट होता है. ये रफ्तार 1990 से लगभग चार गुना हो गई है. जानकारी के मुताबिक अब ये साइबेरिया की तरफ 55 किलोमीटर प्रति साल की दर से शिफ्ट हो रहा है. 

वैज्ञानिकों की मानें, तो ध्रुवों के इधर-उधर शिफ्ट होने से मैग्नेटिक रिवर्सल संभव है. इसका मतलब ये है कि उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की लोकेशन पलट जाएगी.

वहीं, जियोलॉजिकल टाइम स्केल पर मैग्नेटिक रिवर्सल अक्सर होते रहते हैं. पिछले 7.1 करोड़ सालों में पृथ्वी पर ऐसा 171 बार हो चुका है. अब पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुवों का पलटी मारने का समय लगभग आ चुका है.

इसको लेकर वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट्स डेटा के आधार पर पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड का मॉडल्स बनाया है. दरअसल, धरती की गहराई में कुछ 'धब्बे' मौजूद हैं. इनका चुंबकीय क्षेत्र बहुत तीव्र है. 

इनके टकराव के कारण पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव नहीं पलट पाए हैं. सवाल ये है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र कब पलटेगा? वैज्ञानिक भी इसका सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं.

वैज्ञानिकों की मानें, तो मैग्नेटिक रिवर्सल की प्रक्रिया 1,000 से लेकर 10,000 साल तक लगते हैं. इस दौरान, मैग्नेटिक फील्ड 'जीरो' हो जाती है, उसके बाद विपरीत ध्रुव के साथ बढ़ती है. 

इसलिए जब मैग्नेटिक रिवर्सल होगा, धरती पर सैकड़ों साल तक मैग्नेटिक फील्ड नहीं होगा. अगर ऐसा हुआ, तो जन-जीवन को बड़ा खतरा हो सकता है.

ये चुंबकीय क्षेत्र हमारे ग्रह के चारों तरफ एक डिफेंस बबल बनाता है. सूरज की सतह से निकलने वाले घातक कणों से यही मैग्नेटिक फील्ड बचाती है. 

मैग्नेटिक रिवर्सल का धरती की तबाही वाले इवेंट्स से कनेक्शन होने के सबूत नहीं हैं. अगर मैग्नेटिक पोल शिफ्ट हुए तो तकनीक पर निर्भर हो चुकी दुनिया पर तगड़ा असर पड़ सकता है.