Space News: ब्रह्मांड को लेकर अल्बर्ट आइंस्टीन की भविष्यवाणी हुई सच, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप बना गवाह
आसमान में वैज्ञानिकों को पहला 'आइंस्टीन जिगजैग' मिल गया है. एस्ट्रोनॉमर्स ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से इसे पहली बार आंखों से देखा, जो बेहद बेहद दुर्लभ नजारा था.
दरअसल, आइंस्टीन जिगजैग एक क्वेसार की फोटो है, जो एक फोटो में 6 बार दोहराई गई. ये कैसे होता है, इसका प्रस्ताव सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1915 में दिया था.
इसका नाम J1721+8842 रखा गया है. जहां 'आइंस्टीन जिगजैग' दिखा वह क्वेसार से बना है. जो परफेक्ट अलाइनमेंट वाली आकाशगंगाओें द्वारा लेंस किया गया है.
अल्बर्ट आइंस्टीन ने जनरल रिलेटिविटी थ्योरी में इस घटना की भविष्यवाणी पहले ही की थी. खास बात यह है कि जिगजैग में एक ऐसी शक्ति है, जो मानक ग्रेविटेशनल लेंस में नहीं होती.
यह इंसान के द्वारा देखा गया पहला आइंस्टीन जिगजैग है जो वैज्ञानिकों को खगोल विज्ञान के रहस्य को सुलझाने में मदद कर सकता है. पहला रहस्य है - डार्क एनर्जी दूसरा ब्रह्मांड का विस्तार.
यह वह अदृश्य ताकत है जिसके बारे में माना जाता है कि ब्रह्मांड के विस्तार के लिए जिम्मेदार है. ब्रह्मांड का करीब 70% भाग इसी डार्क एनर्जी से बना है.
आइंस्टीन जनरल रिलेटिविटी थ्योरी की मानें, तो द्रव्यमान वाले पिंड स्पेस व टाइम के ताने-बाने में विकृति पैदा करते हैं. जितना ज्यादा पिंड का द्रव्यमान होगा, स्पेसटाइम में उतना बड़ा 'डेंट' होगा.
इस 'विकृति' के दौरान गुरुत्वाकर्षण शक्ति निकलती है. ऐसें में अगर ज्यादा पिंड होंगे, तो उसका गुरुत्वाकर्षण पर भी प्रभाव रहेगा.
ग्रेविटेशनल लेंसिंग तब होती है, जब बैकग्राउंड सोर्स की लाइट पृथ्वी के राह में किसी भीमकाय लेंसिंग वस्तु से गुजरे. साथ ही विकृति को फॉलो करे. इससे उसका रास्ता भी मुड़ सकता है.