इस दिन भगवान शिव की जटा में समा गईं थीं माता गंगा, जानिए वैशाख माह से कनेक्शन
गंगा सप्तमी का दिन देवी गंगा को समर्पित है. इस दिन को गंगा पूजन तथा गंगा जयन्ती के रूप में भी जाना जाता है.
कहते हैं इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. इसीलिए गंगा को मोक्षदायिनी भी कहते हैं. वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है.
आपको बता दें कि इस साल रविवार को 14 मई 2024 के दिन गंगा सप्तमी पड़ रही है.
खास बात ये है कि साल में 2 बार गंगा दशहरा और गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान करने से अमोघ फल मिलता है.
गंगा सप्तमी पर्व के लिए कथा प्रचलित है कि महर्षि जह्नु तप कर रहे थे. तब गंगा नदी के पानी की आवाज से उनका ध्यान भटक रहा था. महर्षि ने गुस्से में गंगा को पी लिया.
इसके बाद देवताओं के कहने पर अपने दाएं कान से गंगा को बाहर निकाला. इसलिए ये गंगा प्राकट्य का दिन भी माना जाता है.
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार गंगा का प्रवाह इतना तेज और शक्तिशाली था कि उसके वेग धरती नहीं संभाल सकती थी, और कारण समूची पृथ्वी का संतुलन बिगड़ सकता था.
सभी देवताओं ने भगवान शिव जी से अनुरोध किया कि देवी गंगा के वेग को नियन्त्रित करने के लिए शिव अपनी जटाओं में स्थान दें.
इस तरह गंगा सप्तमी के दिन ही देवी गंगा भोलेनाथ की जटा में समा गईं थीं. धर्म ग्रंथों के अनुसार गंगा दशहरा पर मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं.
श्रीमद्भागवत महापुराण मे गंगा का जिक्र करते हुए बताया कि शुकदेव जी राजा परीक्षित से कहते हैं कि जब शरीर की राख गंगाजल में मिलने से राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष मिल गया था.
दरअसल, गंगाजल के कुछ बूंद पीने और उसमें नहाने पर मिलने वाले पुण्य की कल्पना नहीं की जा सकती.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)