Geomagnetic Storms Alert: दुनिया पर मंडरा रहा सोलर तूफान का खतरा, चेतावनी जारी

सोलर तूफान के खतरे को लेकर नासा समेत कई अंतरिक्ष एजेंसियों ने भयंकर चेतावनी दी है. इस सौर तूफान के कारण सैटेलाइट, पावर ग्रिड और स्पेस स्टेशन को खतरा हो सकता है.

नासा के वैज्ञानिकों की मानें, तो सूर्य से एक खतरनाक सौर तूफान पैदा हुआ है. इस तूफान के बहाव का रुख पृथ्वी की तरफ है.

नासा के वैज्ञानिकों की मानें, तो सूर्य से एक खतरनाक सौर तूफान पैदा हुआ है. इस तूफान के बहाव का रुख पृथ्वी की तरफ है.

इस तूफान में मौजूद आवेशित कण काफी मजबूत हैं, जो जीपीएस या रेडियो सिग्नल को ब्लॉक कर सकते हैं. इतना ही नहीं ये किसी भी इलेक्ट्रिक डिवाइस को बंद कर सकते हैं.

स्पेस डॉट कॉम के रिपोर्ट के अनुसार धरती की ओर 3 अलग-अलग कोरोनल मास इजेक्शन बढ़ रहे हैं. मतलब इस सप्ताह अमेरिका और यूरोप में किसी तबाही का मंजर दिख सकता है.

CME चुंबकीय क्षेत्र और प्लाज्मा का वह विशाल विस्फोट हैं जो सूर्य से निकलने वाले सौर फ्लेयर्स से उत्पन्न होते हैं, जो पृथ्वी पर हमारे लिए शक्तिशाली भू-चुंबकीय तूफानों का कारण बन सकते हैं.

स्पेसवेदर डॉट कॉम के मुताबिक, अनुसार, तीसरा और अंतिम कोरोनल मास इजेक्शन जो 8 अगस्त को सूर्य की सतह से फटा था, जो 1,000 किमी/सेकंड (2.2 मिलियन मील प्रति घंटे) से अधिक तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है.

वैज्ञानिकों की मानें, तो सोलर तूफान से निकलने वाला रेडिएशन पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है. इतना ही नहीं यह धरती के आसपास के वातावरण में भी असर दिखाता है.

इतिहास में पहले भी कई सोलर तूफान दर्ज किए जा चुके हैं. कनाडा के क्यूबेक शहर में एक सोलर तूफान साल 1989 में दर्ज किया गया था.

इसकी वजह से पूरे शहर की बिजली लापता हो गई थी. वहीं, साल 1859 में अमेरिका में महाशक्तिशाली सौर तूफान नोटिस किया गया था.

सौर तूफानों को जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म के नाम से भी जाना जाता है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव रेडियो सिग्नल, बिजली की ग्रीड और संचार सिग्नलों पर देखने को मिलता है.

अंतरिक्ष में धरती का चक्कर लगा रहे सेटेलाइट पर इनका प्रभाव ज्यादा पड़ता है जिससे डाटा कलेक्शन में दिक्कत होती है.

अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि सूर्य से उत्सर्जित सामग्री और ऊर्जा के कारण भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी के रास्ते पर हैं इससे उपग्रह, बिजली ग्रिड और अंतरिक्ष स्टेशन खतरे में हैं.

प्रवक्ता के अनुसार, तीन कोरोनल मास इजेक्शन वर्तमान में पृथ्वी की ओर बढ़ रहे हैं. पहले दो एम-क्लास सौर फ्लेयर्स 7 अगस्त को सूर्य से उत्सर्जित हुए थे.

शुरुआती कोरोनल मास इजेक्शन अपेक्षाकृत छोटे थे, लेकिन तीसरा एक्स1.3-क्लास सौर फ्लेयर इनसे कहीं ज्यादा शक्तिशाली है. प्रवक्ता ने कहा कि सूर्य की सतह से एक और एम-क्लास फ्लेयर्स रिलीज किए गए हैं.