कितने लेयर में होती है संसद भवन की सुरक्षा? जानिए कैसे हुई चूक
नए संसद भवन में शीतकालीन सत्र के दौरान सुरक्षा में बड़ी चूक का मामला सामने आया है.
सुरक्षा व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए दो लोगों ने लोकसभा की दर्शक दीर्घा से छलांग लगा दी और स्मोक कैंडल भी जलाई.
संसद हमले की वर्षगांठ के दिन हुए इस घटना ने एक बार फिर संसद की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिया है.
हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया. लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर संसद की सुरक्षा में ऐसी चूक हुई कैसे.
संसद की सुरक्षा फिलहाल तीन लेयर में हो रही है. पहली लेयर में अगर कोई संसद भवन में जाता है या जबरदस्ती घुसने की कोशिश करता है तो उसे दिल्ली पुलिस का सामना करना होगा.
दूसरी लेयर होती है पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप का. इसमें राज्यसभा और लोकसभा दोनों के पास अपनी पर्सनल पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस होती है.
पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस साल 2009 में आया था. जिसका काम होता है संसद में एक्सेस को कंट्रोल करना, स्पीकर, सभापति, उप सभापति और सांसदों को सुरक्षा प्रदान करना.
वहीं, तीसरी लेयर होती है पार्लियामेंट्री सिक्योरिटी सर्विस का. जो आम लोगों और पत्रकारों के साथ-साथ ऐसे लोगों के बीच भी क्राउड कंट्रोल करता है.
इसके अलावा इनका काम है संसद में प्रवेश कर रहे सांसदों की सही पहचान करना और उनके सामान की तलाशी लेना.
आपने वीआईपी और मंत्रियों को मिलने वाली सुरक्षा से जुड़े मामलों Y, Z और Z Plus जैसे शब्दों को खूब सुना होगा.
दरअसल, ये सुरक्षा की कैटेगरी हैं. ये वीआईपी के हिसाब से उन्हें दी जाती हैं. जैसे गृह मंत्री या फिर प्रधानमंत्री को जेड प्लस की सुरक्षा मिलती है.
साफ शब्दों में कहें तो ये सुरक्षा किसी व्यक्ति विशेष के लिए होती है.
जबकि, ऊपर बताई गईं सिक्योरिटी सर्विसेज किसी बिल्डिंग की सुरक्षा में लगाई जाती हैं.
वहीं जिन मंत्रियों को Y, Z या Z Plus सुरक्षा मिली होती है, उन्हें भी संसद में प्रवेश करते समय अपने सिक्योरिटी गार्ड्स को बाहर छोड़ना पड़ता है.