International News: इस सुपर रडार के सामने हाइपरसोनिक मिसाइलें बेकार, कर लेगा फौरन ट्रैक
रडार तकनीक के क्षेत्र में चीनी वैज्ञानिकों ने बड़ी कामयाबी हासिल करने का दावा किया है. सिंघुआ यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर झेंग शियाओपिंग के नेतृत्व में इस रडार को डेवलप किया है.
ये सिस्टम 'मैक 20' की स्पीड से आने वाली 10 हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी बहुत सटीक ट्रैक करता है. यह ब्लैंक या झूठे टारगेट्स को पहचानने में सक्षम है.
ग्राउंड-बेस्ड सिमुलेशन के दौरान, रडार ने लगभग 7 किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से यात्रा करने वाली मिसाइल की दूरी का अनुमान लगाते समय केवल 28 सेंटीमीटर का एरर ऑफ मर्जिन दिखाया.
इसके अलावा, सिस्टम मिसाइल की स्पीड का अनुमान लगाने में 99.7 प्रतिशत सटीक था, एक ऐसी उपलब्धि जिसे पहले असंभव माना जाता था, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है.
रडार सिग्नल को इतनी सटीकता से उत्पन्न करने और उसका विश्लेषण करने के लिए इलेक्ट्रॉनों को अत्यधिक तेज़ गति से चलना पड़ता है, जिससे सर्किट बोर्ड को संभावित रूप से नुकसान पहुंच सकता है.
झेंग की टीम ने रडार सिस्टम में लेजर को शामिल करके इस चुनौती को पार कर लिया, जिससे प्रकाश की गति से प्रमुख नोड्स के बीच सूचना प्रसारित की जा सकी.
यह नया प्रोयग बहुत अधिक जटिल माइक्रोवेव सिग्नल के प्रोडक्शन और प्रोसेसिंग को सक्षम बनाता है, जिससे पहली बार अल्ट्रा-हाई-स्पीड ऑब्जेक्ट्स का सटीक माप संभव हो पाया.
नया माइक्रोवेव फोटोनिक रडार 600 किलोमीटर से ज़्यादा की डिटेक्शन रेंज का दावा करता है. ये छोटा और हल्का है.
इससे एयर-डिफेंस मिसाइलों या विमानों पर लगाने के लिए उपयुक्त बनाता है. मिलिट्री एक्सपर्ट इस तकनीक को अगली पीढ़ी के फायर-कंट्रोल रडार के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं.