जापानी खून ने ऐसे बचाई भारतीय बच्चे की जान, आठवां प्रयास हुआ सफल
सात बार मां बनने में नाकाम महिला की गोद एम्स दिल्ली भर दी है. इससे पहले महिला इससे ने 7 गर्भधारण किया, लेकिन कोई बच्चा जीवित नहीं रहा.
आठवें बच्चे को बचाने के लिए जापान की राजधानी टोक्यो से खून मंगाया गया. इसके बाद महिला स्वस्थ बच्चे की मां बन सकी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे को बचाने के लिए ओ-डी फेनोटाइप खून की जरूरत थी. ये भारत में नहीं मिल पा रहा था.
इसके बाद ये खून दिल्ली से लगभग 6,000 किलोमीटर दूर जापान की राजधानी टोक्यो से 4 यूनिट ओ-डी फेनोटाइप खून मंगाया गया.
खून को टोक्यो से दिल्ली लाने में कई एनजीओ, जापानी रेड क्रॉस सोसाइटी और ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय ब्लड ग्रुप रेफरेंस लैब ने काफी मदद की.
एम्स के डॉक्टरों की मानें, तो हरियाणा निवासी महिला ने 8वीं बार गर्भधारण किया. पहले भी उसका 7 बार गर्भपात हो गया था.
इनमें किसी की जन्म से पहले तो किसी की जन्म के बाद मौत हो गई थी. महिला हरियाणा के ही एक अस्पताल में इलाज करा रही थी.
वहां के डॉक्टर ने बताया कि महिला के गर्भ में पल रहा भ्रूण हिमोलेटिक रोग से पीड़ित था. ये खास तरह की बीमारी है. इसमें मां और भ्रूण का खून एक नहीं होता है.
ऐसे में गर्भस्थ शिशु को खून की कमी हो गई. वहीं, जच्चा का भी हीमोग्लोबिन स्तर लगातार गिर रहा था. इसके बाद महिला को दिल्ली एम्स रेफर कर दिया गया.
महिला के भ्रूण की लाल रक्त कोशिकाओं को बचाने के लिए गर्भ में खून चढ़ाने में भी दिक्कत आ रही थी. इसके अलावा कोई ब्लड ग्रुप मैच भी नहीं कर रहा था.
इसके बाद महिला का ब्लड सैंपल ब्रिटेन की लैब भेजा गया. वहां पता चला कि उसका ब्लड ग्रुप बहुत रेयर है. इसका नाम ओ-डी फेनोटाइप है.
ब्लड के लिए अंतरराष्ट्रीय रेयर ब्लड पैनल को संपर्क किया गया. वहां भारत का एक पंजीकृत व्यक्ति मिला, जिसका ब्लड ग्रुप ओ-डी फेनोटाइप था. उसने ब्लड डोनेट करने से इनकार कर दिया.
इसके बाद कई एनजीओ, जापान की रेड क्रॉस सोसाइटी और ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय ब्लड ग्रुप रेफरेंस लैब की मदद से क्योटो से खून मंगाया.