International News: क्या 48 साल पहले किए गए 'पुण्य' से बची डोनाल्ड ट्रंप की जान, जानिए भगवान जगन्नाथ से कनेक्शन

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पेंसिल्वेनिया में रैली के दौरान बाल-बाल बचे हैं. उनकी जान बचने के बाद इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने बड़ी टिप्पणी की है.

उन्होंने कहा, ट्रंप ने ठीक 48 साल पहले बाबा जगन्नाथ की यात्रा निकालने में मदद की थी. अभी 9 दिवसीय जगन्नाथ यात्रा के दौरान उन पर जानलेवा हमला हुआ, लेकिन वह बाल-बाल बच गए. इस घटना को लेकर दावा है कि ये भगवान जगन्नाथ का हस्तक्षेप है.

इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने एक घटना का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ये निश्चित ही एक दैवीय हस्तक्षेप है. ठीक 48 साल पहले डोनाल्ड ट्रंप ने जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव में सहायता की थी. आज दुनिया फिर से जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है.

इस बीच ट्रंप पर हमला हुआ. भगवान जगन्नाथ ने उन्हें बचाया. उन्होंने बताया कि जुलाई 1976 में ट्रंप ने भगवान जगन्नाथ के रथों को बनाने के लिए मुफ्त में अपना ट्रेन यार्ड दिया था. साथ ही इस्कॉन भक्तों को यात्रा में मदद की थी. 

राधारमण दास ने बताया, बाबा जगन्नाथ की अमेरिका में पहली रथ यात्रा साल 1976 में उभरते कारोबारी डोनाल्ड ट्रंप की सहायता से न्यूयॉर्क की सड़कों पर शुरू हुई.

आपको बता दें कि 48 साल पहले जब इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस, जब न्यूयॉर्क में पहली रथ यात्रा निकालने की योजना बना रही थी, तब काफी चुनौतियां थीं.

दरअसल, फिफ्थ एवेन्यू में परेड को परमिट देना, चमत्कार से कम नहीं था. साथ ही रथ निर्माण के लिए खाली जगह ढूंढना जो बड़ी हो, यह आसान नहीं थी.  उन्होंने हर संभव व्यक्ति का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. तभी डोनाल्ड ट्रंप कृष्ण भक्तों के लिए आशा की किरण बनकर उभरे.

इस्कॉन के प्रवक्ता ने बताया, इस्कॉन न्यूयॉर्क में पहली बड़ी रथ यात्रा की योजना बना रहा था. हमें फिफ्थ एवेन्यू के इस्तेमाल की की अनुमति थी, जो वास्तव में एक बड़ी बात है.

हमें विशाल रथ बनाने के लिए परेड मार्ग के शुरुआती प्वाइंट के करीब एक खाली जगह की जरूरत थी. मदद मांगने पर हमें हर जगह से ना में जवाब मिला. वे बीमा जोखिम आदि के बारे में चिंतित थे.

राधारमण दास ने बताया, जब सब उम्मीदें टूटने लगी थी, तभी पता चला कि पास में पुराना रेलवे यार्ड है जिसे डोनाल्ड ट्रंप ने खरीदा है. यहां रथ बनाए जा सकते हैं लेकिन इतने बार इनकार सुनने के बाद मन में संशय था कि वे क्यों हां कहेंगे.

फिर भी भक्त महाप्रसादम की एक बड़ी टोकरी के साथ ट्रंप के कार्यालय गए. उनके सचिव ने आगाह किया कि ट्रंप इस तरह की बात से कभी सहमत नहीं होते. आप पूछ सकते हैं, लेकिन वह 'नहीं' ही कहेंगे.