भारतीय अंतरिक्ष यात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजेगा नासा, PM Modi से किया वादा करेंगे पूरा
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि अमेरिका इस साल के अंत तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजेगा.
गार्सेटी ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और इसरो के बीच एक संयुक्त पृथ्वी-अवलोकन मिशन, निसार परियोजना साल 2024 के अंत तक लॉन्च होने की संभावना है.
गार्सेटी ने कहा, 'हम इस साल एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजने जा रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'जब प्रधानमंत्री मोदी 2023 में अमेरिका आए थे, तब हमने वादा किया था कि इस साल के अंत तक हम ऐसा करेंगे.
हमारा मिशन इस साल अंतरिक्ष में जाने में सक्षम होने के लिए अभी भी ट्रैक पर है. संयुक्त राज्य अमेरिका के 248वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कार्यक्रम से इतर बोल रहे थे.
अमेरिकी राजदूत ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों को रिसर्च और महत्वपूर्ण उभरती टेक्नोलॉजी के समन्वय पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे एक-दूसरे की ताकत का तेजी से लाभ उठा सकें.
उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले साल चंद्रमा पर 'चंद्रयान 3' को उसी लागत पर उतारा था जो अमेरिका ने इसी तरह के चंद्र मिशन पर खर्च की थी.
गार्सेटी ने कहा, 'अमेरिका के पास कुछ क्षमताएं हैं जो भारत के पास आज भी नहीं हैं . जब दोनों को मिला दिया जाता है, तो दोनों देशों के पास वे क्षमताएं हो जाती हैं.'
भारत में दो स्थान- गुजरात में मीठी विरधी और आंध्र प्रदेश में कोवड्डा - परमाणु रिएक्टर बनाने के लिए अमेरिकी कंपनियों के लिए निर्धारित किए गए हैं.
हालांकि, कंपनियों ने सिविल लायबिलिटी न्यूक्लियर डैमेज एक्ट 2010 पर चिंता जताई है. नो-फॉल्ट लायबिलिटी व्यवस्था के माध्यम से परमाणु घटना से हुए नुकसान के लिए पीड़ितों को तुरंत मुआवजा देने का प्रावधान करता है.