National Unity Day 2023: क्या आपको पता है पटेल कैसे कहलाए सरदार? जानिए सरदार वल्लभभाई पटेल बनने की कहानी

Sardar Patel: आज देश भर में सरदार वल्लभभाई पटेल की 148वीं जयंती मनाई जा रही है. आज आपको बताते हैं उनसे जुड़ी खास बातें...

दरअसल, भारत को आजादी मिलने के बाद देश 562 छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा था. इन रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया, जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा.

सन 1918 में गुजरात के खेड़ा में सूखा पड़ा था. तब ब्रिटिश सरकार ने किसानों को कर में राहत देने से साफ मना कर दिया. इसके बाद पटेल ने वकालत छोड़कर इस आंदोलन का नेतृत्व किया.

आपको बता दें कि पटेल ने सन 1928 में बारदोली में हुए बारडोली सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया. आंदोलन सफल होने पर वहां की महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि दी. 

इसके बाद सरदार पटेल गांधी जी से प्रेरित हुए और आजादी की जंग लड़ने कूद पड़े.

दरअसल, सरदार वल्लभभाई पटेल कानून काफी अच्छा जानते थे. पटेल भी लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की थी.

बैरिस्टर की डिग्री लेने के बाद सरदार पटेल वापस भारत आए. इसके बाद उन्होंने अहमदाबाद में वकालत करना शुरू किया.

साहसिक कार्य और दृढ़ व्यक्तित्व होने के कारण ही 'महात्मा गांधी' ने उन्हें 'लौह पुरुष' की उपाधि दी. पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है.  

किसी देश की एकता और अखंडता ही उसका आधार होता है. सरदार पटेल ने भारत को एकता के सूत्र में बांधा था.

साल 2014 से  सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

नर्मदा पर बने सरदार सरोवर बांध के सामने 31 अक्टूबर 2018 को विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति 'स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी' सरदार पटेल को समर्पित की गई. ये स्टेच्यू देश की एकता में सरदार पटेल के योगदान को दर्शाता है.