Paris Olympics में बहेंगी खून की नदियां, जानिए वीडियो जारी कर किसने दी धमकी
सोशल मीडिया पर पेरिस ओलपिंक से जुड़ा एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस कथित वीडियो में एक व्यक्ति हमास का लड़ाका होने का दावा करते हुए पेरिस ओलंपिक के लिए धमकी दे रहा है.
एनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं ने इस वीडियो को फर्जी बताया है.
माइक्रोसॉफ्ट शोधकर्ताओं ने वीडियो को रूस से जुड़े एक दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा बताया है, जिसका उद्देश्य ओलंपिक को बाधित करना है.
रिपोर्ट के मुताबिक टेलीग्राम पर हमास के अधिकारी इज्जत अल-रिशेक ने इस बात से इनकार किया कि यह वीडियो हमास से आया है और इसे जालसाजी बताया.
माइक्रोसॉफ्ट के थ्रेट एनालिसिस सेंटर के शोधकर्ताओं ने, जिन्होंने एनबीसी न्यूज़ के अनुरोध पर वीडियो की समीक्षा की.
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक रूसी दुष्प्रचार ग्रुप से आया है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के बारे में पिछले वीडियो के विवरण इससे मेल खाते हैं.
वह अरबी में कहता है कि पेरिस की सड़कों पर खून की नदियां बहेंगी. वह कहता है कि कि फ्रांस हमास के साथ युद्ध में इजरायल का समर्थन करता है.
ओलंपिक खेलों में इजरायली एथलीटों का स्वागत करता है. वह एक कटे हुए पुतले का सिर पकड़े हुए है जो लाल रंग से ढका हुआ प्रतीत होता है.
दरअसल, ओलंपिक के उद्घाटन में कुछ ही दिन हैं. ऐसे में फ्रांसीसी अधिकारियों ने जनता को आश्वस्त किया है कि उन्होंने हर संभव सुरक्षा एहतियात बरती है, जिसमें हज़ारों सुरक्षाकर्मियों को तैनात करना भी शामिल है.
माइक्रोसॉफ्ट ने चेतावनी दी थी कि रूस लोगों को खेलों से दूर करने की कोशिश कर रहा है.
माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं ने मंगलवार को कहा कि स्टॉर्म-1516 नामक एक ग्रप, इस वीडियो के पीछे है. यह ग्रुप रूस के कुख्यात इंटरनेट रिसर्च एजेंसी ट्रोल फार्म का एक छोटा लेकिन अहम हिस्सा है.
हाल में ही वीडियो को कई अकाउंट्स से शेयर किया गया है, जो रूसी प्रचार में शामिल हैं. यह दावा करने का प्रयास किया जा रहा है कि ये वीडियो इजरायल से आया है.
माइक्रोसॉफ्ट समूह ने बयान जारी कर कहा, 'यह ऑपरेशन पिछले स्टॉर्म-1516 ऑपरेशनों में अपनाई गई रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं से काफी मेल खाता है.
इसमें एक पिछला वीडियो भी शामिल है, जो हमास का होने का दिखावा करता है. न्यूज रिपोर्ट के अनुसार इस वीडियो और यूक्रेन के बारे में पिछले वीडियो के बीच समानताएं पाईं गई.
वह वीडियो जिसे अक्टूबर में पोस्ट किया गया था. क्लेम्सन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसकी पहचान रूस के स्टॉर्म-1516 से की थी.
वीडियो में स्कार्फ और चेहरे ढक कर कई पुरुष ग्रे दीवार के सामने खड़े हैं. एक ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को 'हथियारों और सैन्य उपकरणों की एक नई खेप' के लिए अरबी भाषा में धन्यवाद दिया है.
पोस्ट ने एक झूठे दावे को बढ़ावा दिया कि यूक्रेन ने हमास को सैन्य सहायता प्रदान की थी. रूसी प्रचारकों ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब फैलाया.
दोनों वीडियो में संदेश देने वाला व्यक्ति एक ही वर्दी पहने हुए एक ही ग्रे दीवार के सामने खड़ा दिखाई देता है. वह अपना भाषण भी ईश्वर की एक ही प्रार्थना के साथ शुरू करता है.
माइक्रोसॉफ्ट शोधकर्ता ने बताया स्टॉर्म-1516 के अभियान कुछ खास रणनीति से जाने जाते हैं. इसमें ऐसे वीडियो बनाना शामिल है, जिसमें एक्टर साजिश का आरोप लगाकर वीडियो को नए अकाउंट से पोस्ट करते हैं.
इनके फॉलोअर्स भी होते हैं. ये वीडियो टेलीग्राम, एक्स और समाचार वेब साइटों पर प्रायोजित रूप से प्रसारित किया जाता है. इनका लक्ष्य पश्चिम में मुख्यधारा के दर्शकों तक पहुंचना होता है.