Ratan Tata की लग्जरी गाड़ियों का क्या होगा, जानिए वसीयत में नौकर, शांतनु को क्या मिला?
09 अक्टूबर, बुधवार को उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया. 10 अक्टूबर को उनका अंतिम संस्कार किया गया.
6 साल पहले टिटो को रतन टाटा के पिछले कुत्ते की मौत के बाद गोद लिया गया था. उसकी देखभाल उनके रसोइए राजन शॉ की तरफ से की जाएगी.
रतन टाटा का 9 अक्टूबर को 86 साल की उम्र में निधन हो गया था. उन्हें कुत्तों से बहुत लगाव था. सोशल मीडिया पर भी टाटा अक्सर स्ट्रीट डॉग की हिफाजत को लेकर बात करते थे.
रतन टाटा दूसरों को भी कुत्तों के प्रति दया भावना दिखाने के लिए प्रोत्साहित करते थे. उन्होंने खुद को छोड़े गए पालतू जानवरों के लिए घर खोजने में समर्पित कर दिया और उनकी देखभाल पर काम किया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रतन टाटा की करीब 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. उन्होंने अपनी वसीयत में इस प्रॉपर्टी को अलग-अलग लोगों के नाम किया है.
वसीयत में जिनका नाम शामिल है उनमें उनका फाउंडेशन, भाई जिमी टाटा, सौतेली बहनें शिरीन और दीना जेजेबहोई और घरेलू स्टाफ मेंबर भी शामिल हैं.
टाटा की वसीयत में नौकर सुब्बैया के लिए भी व्यवस्था की गई है, जिसने उनके साथ 35 साल से भी ज्यादा का समय बिताया. वसीयत में टाटा के एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट शांतनु नायडू का भी जिक्र है.
रिपोर्ट के अनुसार वह और नायडू जिस बिजनेस में शामिल थे, उसकी हिस्सेदारी उन्होंने नायडू के लिए छोड़ दी है. रतन टाटा और शांतनु नायडू की गुडफेलोज में हिस्सेदारी थी. इसके अलावा नायडू के विदेश में होने वाले शिक्षा के खर्च को कवर करने की भी बात कही गई है.
रतन टाटा की संपत्ति में महाराष्ट्र के अलीबाग में 2,000 वर्ग फीट का समुद्र किनारे का बंगला, मुंबई की जुहू तारा रोड पर दो मंजिला मकान और 350 करोड़ से ज्यादा की एफडी शामिल हैं.
उनकी 165 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप की मूल कंपनी टाटा संस में 0.83% हिस्सेदारी थी. टाटा ग्रुप की विरासत के अनुरूप, टाटा संस मतें उनकी हिस्सेदारी रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन को ट्रांसफर की जाएगी.
टाटा संस में शेयरों के अलावा, टाटा मोटर्स समेत अन्य टाटा ग्रुप के कारोबार में रतन टाटा की हिस्सेदारी को RTEF को ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
कोलाबा के जिस घर में रतन टाटा अंतिम समय तक रहे वह टाटा संस की मालिकाना हक वाली सब्सिडियरी कंपनी इवर्ट इन्वेस्टमेंट्स का है. यही कंपनी इसके भविष्य को लेकर फैसला करेगी.
इस कलेक्शन का क्या करना है, इसको लेकर भी चर्चा है. उम्मीद यह है कि इन्हें टाटा ग्रुप की तरफ से पुणे म्यूजियम को दिया जाएगा या फिर इनकी नीलामी की जाएगी.
जुहू में चौथाई एकड़ के प्लॉट पर समुद्र तट के दृश्य वाली संपत्ति रतन टाटा और उनके परिवार को नवल टाटा की मौत के बाद विरासत में मिली थी. यह पिछले करीब 20 साल से भी ज्यादा समय से बंद है. इसे बेचने की बात चल रही है.