माला जापते समय न करें ये गलती, जानें सही नियम
सनातन धर्म में सभी भगवान की अराधना के अलग-अलग प्रकार हैं, जिनमें से एक है माला जाप जिसके जरिए भी भगवान की अराधना की जाती है.
इन माला जाप के कुछ खास नियम होते हैं जिन्हें गलती से भी नजरअंदाज किया जाए तो दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
रुद्राक्ष माला के जरिए मंत्र का जाप कर भगवान शिव की उपासना करके भक्त उन्हें प्रसन्न करते हैं.
भगवान विष्णु की आराधना के लिए पीले चंदन या फिर तुलसी की माला का प्रयोग किया जाता है.
भगवान श्री कृष्ण की उपासना के लिए मंत्र के साथ वैजयंती माला का प्रयोग किया जाता है.
माता लक्ष्मी की आराधना के लिए कमलगट्टे की माला का प्रयोग करते हैं तो वहीं चंद्र देव के मंत्रों के लिए मोती की माला से जाप करते हैं.
हिंदू शास्त्र में माला जाप के कुछ नियम बताए गए हैं. आइए जानते हैं.
भगवान को याद करते हुए माला का जाप करें और साफ आसन का प्रयोग करें. जमीन पर बैठ कर जाप करने से फल नष्ट होने का डर रहता है.
जाप करते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए. वहीं माला का जाप करते समय माला हमेशा हृदय चक्र के पास ही होना चाहिए.
माला जाप करते समय मध्यम अंगुली का प्रयोग करना चाहिए. वहीं मोती बदलने के लिए अंगूठे का प्रयोग करें. मोती को बदलते समय इसे अपनी ओर ही घुमाएं.
जाप से पहले नहाना आवश्यक है. इसके साथ ही शांत वातावरण और शुद्ध जगह पर बैठकर ब्रह्म मुहूर्त में माला का जाप करना फलदायी होता है.
जिस माला से जाप कर रहे हैं उसे गले में धारण ना करें. इसे मंदिर में सम्मान के साथ उपासना के बाद रख दें.
कभी भी किसी और व्यक्ति की माला से मंत्र का जाप ना करें और किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों को मन में ना लाएं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)